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________________ श्री ममल पाहुइ जी उव उवन श्रेनि जिन श्रेनि जिनैया, कलि कलन कमल उव मुक्ति रमैया ॥ १७ ॥ || उव. ॥ सुइ तारन तरन तर तार तरैया, तार तरन कमल कर्न मुक्ति मिलैया ॥ १८ ॥ ॥ उव. ॥ (११७) बंथ जिनाई फूलना गाथा २४७७ से २४८९ तक (विषय : विवान पांच) उव उवन उवन उव मिलन है, सुइ बंध जिनाई। जं उवन रमन रस परिनमै, सुइ बंध विलाई ॥ १ ॥ जय जयो जयो जय रमन सुइ, सुइ उवनु रमाई ।। उव उवन संजोये समय जिनु, जय मुक्ति मिलाई ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ दिप्ति दिप्ति सुइ दिप्ति जिनु, दिप्ति उवनु दिपाई । सुइ दिस्टि इस्टि रमि समय सुइ, रमि मुक्ति मिलाई ॥ ३ ॥ ॥ जय. ॥ दिपि दिप्ति दिप्ति नंत समय दिपि, दिपि समय दिपाई । सुइ दिस्टि इस्टि रमि उवन रिस्टि, रमि मुक्ति रमाई ॥ ४ ॥ ॥ जय. ॥ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जय सब्द सब्द सुइ सब्द पिऊ, उव सब्द समाई । सुइ सब्द समय नंत रमन पिऊ, रमि मुक्ति मिलाई ॥ ५ ॥ ॥ जय. ॥ सुइ सब्द समय नंत सब्द पिऊ, उव सब्द रमाई । उवन सब्द रस धुव रमनु, धुव मुक्ति मिलाई ॥ ६ ॥ ॥ जय. ॥ हिय हियं हियं हिय समय हियं, हिय समय रमाई । हिय उवन उवन धुव उवन हियं, रलि मुक्ति मिलाई ॥ ७ ॥ ॥ जय. ॥ हुव हुवन हुवन नंत हुव समय, हुव समय रमाई । हुव उवन उवन धुव हुव उवन, हुव मुक्ति मिलाई ॥ ८ ॥ जय. ॥ सहन समय नंत सहन रली, रलि समय सहाई । सुइ उवन सहन सम समय मौ, सह मुक्ति मिलाई ॥ ९ ॥ ॥ जय. ॥ साह समय नंत समय साह, रलि साह समाई । उव उवन साह धुव रमन रमि, सह मुक्ति मिलाई ॥ १० ॥ ॥ जय. ॥ समय रमनु उव उवन पौ, पिय उवनु रमाई । उवन रमनु सुइ अमिय रसु, रमि मुक्ति मिलाई ॥ ११ ॥ ॥ जय. ॥ (३६०
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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