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________________ श्री ममल पाहुड जी श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी मै उवन गगन गम अगम गमंते, जय गगन कमल जिन सिद्धि संपत्ते ॥ ९ ॥ ॥ जिन. ॥ अवयास उवन सुइ रमन जिनुत्ते, तं रमन पियं पिय परिनय उत्ते । प्रमान जिनय जिन चरन जिनुत्ते, सुइ कलन कमल जिन सिद्धि संपत्ते ॥ ५ ॥ ॥ जिन. ॥ सुइ सुवन सुयं सुइ उवन संजुत्ते, सुइ रमन जिनय जिनु समय स उत्ते । साह रमनु जिनु कमल स उत्ते, सुइ कलन कमल जिन सिद्धि संपत्ते ॥ ६ ॥ ॥जिन. ॥ जयो जय जय जिनवर उत्ते, जय जय जय जय जयं जिनुत्ते । पय कमल कदल गम अगम स उत्ते, पय अगम समय जिनु सिद्धि संपत्ते ॥ ७ ॥ सुइ गगन सहावे चर कलन जिनुत्ते, सुइ कलन कलस जिन कमल कलंते । सुइ कलस कमल कलि कलन अनंते, सुइ गहिर अनंत जिन सिद्धि संपत्ते ॥ १० ॥ ॥ जिन. ॥ सुइ कलस सहज जिनु ससि जिन उत्ते, ससि सिद्धि रमन जिनु जिनय स उत्ते । ससि कमल रमन जिनु कलन जिनुत्ते, ससि रमन समय जिनु सिद्धि संपत्ते ॥ ११ ॥ ॥ जिन. ॥ ससि रमन सुयं जिनु भवन जिनुत्ते, सुइ भवन विंद जिनु कमल कलंते । सुइ नंत विंद उव विंद स उत्ते, सुइ भवन विंद जिनु सिद्धि संपत्ते ॥ १२ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन जिनय श्रेनि जिनु कलन संजुत्ते, सुइ कलन साह जिनु श्रेनि जिनुत्ते । सुइ तारन तरन कलि कमल स उत्ते, जय तार कमल सम सिद्धि संपत्ते ॥ १३ ॥ ॥ जिन.॥ जिन. ॥ सुइ कदल कमल कल चरन स उत्ते, सुइ पुलिन सहावे जिन जान जिनुत्ते । सुइ जान जान रिजु विपुल स उत्ते, सुइ अलष समय जिनु सिद्धि संपत्ते ॥ ८ ॥ ॥ जिन. ॥ सुइ पुलिन सुर्य जय गगन जयवंते, सुइ गगन कमल चर कलन जिनुत्ते । जिन सुइ लकमल स उत्ते, सिद्धि संपत्ते ॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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