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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी जिनु कलन चरन चर रुइय जिनु हो, जिनु कमल कलन कलयतु हो ।
जिन कलन कमल जिनु ॥ २८ ॥ जिनु उवन रमन रुइ कलन जिनु हो, जिनु कलन कमल कलयंतु हो ।।
जिन उवन कमल जिनु ॥ २९ ॥ जिनु कलन कमल सुइ नंत जिनु हो, जिनु उवन कमल धुव नंतु हो ।
जिन उवन कमल जिनु ॥ ३० ॥ जिनु उवन श्रेनि कलि कलन मऊ हो, जिनु कलन श्रेनि जिन उत्तु हो ।
जिन उवन कमल जिनु ॥ ३१ ॥ जिनु तारन तरन सु कमल मउ हो, जिनु कमल सुवन सिद्धि रत्तु हो ।
जिन सिद्ध कमल जिनु ॥ ३२ ॥ जिनु तारन तरन विवान मऊ हो, विवान कमल सम उत्तु हो ।
जिन कमल धुवं जिनु ॥ ३३ ॥ जिनु तारन तरन कलि कमल मउ हो, सम समय सिद्धि संपत्तु हो ।
जिन जिनय सिद्ध जिनु ॥ ३४ ॥
(१९४) सुयं कमल जिन फूलना गाथा २४०७ से २४१९ तक
(विषय: परमेष्ठी सटीक) उव उवन उवन उव उवन सरत्ते,
उव उवन पयं पय सिद्धि जिनुत्ते । जिन जिनय जिनं जिन जिनवर उत्ते,
जिन समय उवन जिन सिद्धि संपत्ते ॥ १ ॥ जिन जिन लडिया जिन जिनवरु पेषिऊ, सह समय रमन स्वामी मुक्ति पहुंते ॥ २ ॥
॥आचरी॥ पय पयं पयं पिय पिय जिन रत्ते,
पिय पियं पियं पय समय संजुत्ते । सम समय समय सुइ समय जिनुत्ते, पिय सब्द समय जिनु मुक्ति स रत्ते ॥ ३ ॥
॥ जिन. ॥ __ हिय हियं हियं हुव रमन जिनुत्ते,
हुव हुवं हुवं अवयास संजुत्ते । अवयास असह सह साह सहते, सुइ साह सुवन धुव नंत जिनुत्ते ॥ ४ ॥
॥ जिन. ॥
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