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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
उव उवन श्रेनि जिन श्रेनि कलन जिनु, कलि श्रेनि समय सिद्धि गमनं ॥ १२ ॥
॥ जिनु. ॥ तारन तरन सु तरन कमल जिनु,
कमल समय सुइ उवनं । उवन कमल सुइ कर्न समय जिनु, सुइ उवन समय सिद्धि गमनं ॥ १३ ॥
|| जिनु.॥
श्री ममल पाहुइ जी हुव हुवं हुवं हुव उवन रमन जिनु,
हुव समय नंत हुव रमनं । हुव उवन सहावे उवन हुवन जिनु, हुव उवन समय सिद्धि गमनं ॥ ८ ॥
॥ जिनु.॥ षिप षिपन उवन षिपि षिपन रमन जिनु,
विपि रमन विवान सु उवनं । विवान रमन जिनु जिनय जयं जिनु, हुव उवन समय सिद्धि रमनं ॥ ९ ॥
॥ जिनु. ॥ पियं पियं पिय उवन पियं जिनु,
अन्मोय पियं जिन उवने । अन्मोय रंजु तं रमन समय जिनु, उव उवन नंद सिद्धि रमनं ॥ १० ॥
॥ जिनु. ॥ मुक्ति मुक्ति जिनु उवनु मुक्ति जिनु,
मुक्ति समय जिनु उवनं । मुक्ति सुभावे उवन मुक्ति जिनु, उव उवन मुक्ति सिद्धि गमनं ॥ ११ ॥
॥ जिनु. ॥ श्रेनि श्रेनि उव कलन श्रेनि जिनु,
उव कलन समय सम उवनं ।
(१०९) विन्यान रमन फूलना
गाथा २२४७ से २२७४ तक
(विषय : कमल दल, विवान-१, कलन चरन रमन) जिन जिनयति जिनय जिनय पौ,
जिन जिनियौ उव नंतु । जिन जिनियौ कमल सब्द पिउ,
जिन कर्न समं सुव नंतु ॥ १ ॥ जिन असह सहनु सुइ साहिऊ,
___जिन दिप्ति दिस्टि सुइ नंतु । गहनु विलय जिन गहन पौ,
जिन उवन कम्मु विलयंतु ॥ २ ॥ जिन ढलन विलय जिन ढलन पौ,
जिन उवन उवनु विलसंतु ।
(३४१)