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श्री ममल पाहुइ जी
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
(१०८) अन्मोय फूलना गाथा २२३४ से २२४६ तक
(विषय : पय-१२) उव उवन उवन उव उवनु सुयं जिनु,
उव उवनु समय सम उत्तं । उव उवन सहावे समय उवन जिनु,
उव उवन समय सिद्धि रत्तं ॥ १ ॥ जिनु अपने रंग मंदिर में रे,
कोड उवन जिन स्वामी । कमल कर्न हंसि पूंछन लागे,
जन काहे अकुलाने ॥ श्रेनिजू को कासिहु लागै,
स्वामीजू को कासिहु रागै । पदमनाभि को कासिहु जागे,
तीर्थंकर को कासिहु बूझै ॥ केवली को कासिहु मागै,
उवन जिन उवन रमन पावे । सुयं जिन उवन रमन पावे ॥ २ ॥
॥आचरी॥ जै जयो जयं जै जयो जिनु,
जय समय जयं जै उत्तं ॥
जै उवन जयं जै उवन जयं जिनु, जै उवन समय सिद्धि रत्तं ॥ ३ ॥
॥ जिनु.॥ रम रमन रमन उव उवन रमन जिनु,
रम रमन समय रमि रत्तं । उव उवन रमन सम समय उवन जिनु, उव उवन समय सिद्धि रत्तं ॥ ४ ॥
॥ जिनु. ॥ सुवन सुवन सुव उवन सुवन जिनु,
सुव सुयं समय सुव सुवनं । सुव कप्प वियप्प सुयं सुइ विलयं, सुव उवन समय सिद्धि रमनं ॥ ५ ॥
॥ जिनु. ॥ सब्द सब्द उव उवन सब्द जिनु,
उवन सब्द सम समयं । समय सब्द सम समय रमन जिनु, सब्द समय सिद्धि रमियं ॥ ६ ॥
॥ जिनु.॥ हियं हियं हिय उवन रमन जिनु,
हिय उवन समय सम रमनं । हिय उवन उवन हिय हियं उवन जिनु, हिय उवन समय सिद्धि गमनं ॥ ७ ॥
॥ जिनु. ॥