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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी जिनय जिन उत्तु पियं पिय उवने,
चिंतामनि पिय मिलि रमनं । जं पिय दिप्ति दिस्टि सुइ मिलियं,
चिंतामनि चित मिलि गमनं ॥ स्वामी हो बलिहारी सुवन जिन केरी, धुव समय उवन सिद्धि राए ॥ ६ ॥
॥स्वामी.॥ पियं मिलनु जिनय जिन उत्तं,
अमिय पियं विष विलय सुर्य । जं पिय उवन समय पिय उवने,
सब्द पियं असब्द विलयं ॥ स्वामी हो बलिहारी पियं जिन केरी, दुस्ट विलय पिय मिलन सुयं ॥ ७ ॥
॥स्वामी.॥ जिन जिनवर उत्तउ पियं समय सुइ,
मलयागिरि वन वास सुयं । दिस्टि कर्न उव उवन हियं उव,
अवयास अर्क नंत अर्क समं ॥ स्वामी हो बलिहारी उवन जिन केरी, उवन उवन सम साहं ॥ ८ ॥
॥स्वामी.॥ मिलन पियं जिन जिनवर उत्तं,
इस्ट मिलन इस्ट उवन पियं ।
इस्ट मिलन पिय सुवर्न मिलियं,
दाह छेय कस धात मिलं ॥ स्वामी हो बलिहारी दिप्ति जिन केरी, दिप्ति दिस्टि रमि मिलियं ॥ ९ ॥
॥स्वामी.॥ इस्ट मिलनु पिय सुवन सु रमियं,
सुयं रमन इस्ट रमियं । किं पिय मिलन सुयं रमि रमनं,
सम समय उवन नहु समयं ॥ स्वामी हो बलिहारी सुयं जिन केरी, सुयं उवन सम रमियं ॥ १० ॥
॥स्वामी.॥ इस्ट मिलनु पिय जिनवर उत्तं,
अप्प स्वाद रस रंग रमियं । समय सहाउ न स्वाद रंग रसु,
मिलन पियं तं किं उवनं ॥ स्वामी हो बलिहारी जिनय जिन केरी, जंजिनियौ कम्मु समय सुवनं ॥ ११ ॥
॥स्वामी.॥ इस्ट उवन मिलन पिय उत्तं,
चंद तारगन रयनि मिलं । उव उवन उवन सुर उवन सु दिनयर,
चंद तार पिय छंन सुयं ॥
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