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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी सिय उवन धुवं धुव उवन सियं,
उव कमल सु नंतानंत धुवं । धुव उवन सुयं उव नंत समं,
सम कर्न उवन सुई मुक्ति जयं ॥ १७ ॥ जय चरन धुव उवन, सुइ भुक्त सिय कर्न ।
जय चरन सुइ करन, जिन मुक्ति जय रमन ।
सिय चरन धुव कमल, सोई मुक्ति जय ममल ॥ १८ ॥ जय कमल धुव ममल, सुइ मुक्ति जय ममल ।
सुइ उवन जिन कमल, जय कर्न सम ममल ।।
जय कर्न जिन उवन, धुव मुक्ति जय रमन ॥ १९ ॥ धुव कमल जिन उत्तु, सुइ कर्न जय रमतु ।
धुव कमल सम कर्न, सुइ मुक्ति जिन रत्तु ॥ २० ॥ उव समय जय कमल, उव भुक्त सिय ममल ।
सुइ कमल सुइ सुवनु, जिन जिनय सिद्धि ममल ॥ २१ ॥ उव उवन दिपि दिस्टि, सुइ कमल जिन इस्टि ।
उव उवन सम सिस्टि, सुइ मुक्ति जय रिस्टि ॥ २२ ॥ उव उवन सम उवन, अवयास जिन रमन ।
अवयास सुइ कमल, सुइ मुक्ति जिन ममल ॥ २३ ॥ जय नंत चर चरन, जय कमल जिन रमन ।
जय कमल कलि उवन, जय मुक्ति जिन रमन ॥ २४ ॥ जिन कमल उव समय, सुइ कर्न जिन समय ।
जय कमल जय कर्न, सम सिद्धि सिद्धि रमन ॥ २५ ॥
-घत्ताजय जय जयो सु उवन पउ,
उव उवन उवन उव उत्तऊ । कलन कमल उव संत पऊ,
सम कर्न सिद्धि संपत्तऊ ॥ २६ ॥ ममल ममल जिन उवन पऊ,
ममल कमल धुव रत्तऊ । ममल सहावे कर्न समं,
धुव समय सिद्धि सम्पत्तऊ ॥ २७ ॥ ममल उवन सुइ उवनं,
उवनं विवान समय जिन उवनं । जिन समय ममल ममलत्वं,
उवनं सह समय सिद्धि संपत्तं ॥ २८ ॥
(१०२) उत्पन्न श्रेनि बधाऊ फूलना
गाथा २०७५ से २०९१ तक (विषय अर्क-३६, पंचार्थ की महिमा, विवान-१, लब्धि -१) कवन श्रेनि उवनु, कवन श्रेनि वीया,
कवन श्रेनि उवनु, विरधि धुव लीहा । कवन श्रेनि समय, कुसम श्रेनि कवना,
कवन श्रेनि नंता, नंत फल उवना ॥ १ ॥ उवन श्रेनि उवनु, चरन श्रेनि वीया,
कलन श्रेनि उवनु, विरधि धुव लीहा ।
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