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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
सु सिद्धह सुद्ध सहाउ सुद्ध रै रमन मऊ,
उव उवन हिययार अनंतु सहयार सु रमन पऊ । सु तारन तरन सहाउ सु साहिय परम पऊ, अन्मोय न्यान सुइ तरन समय सिह सिद्धि गऊ ॥ २५ ॥
॥ उव उवन.॥
श्री ममल पाहुइ जी सु न्यान विन्यान उवन्नु सु दिप्तिहि दिस्टि मऊ, सु दिस्टि दिप्ति सुइ सब्द सु हेयह मुक्ति पऊ ॥ २० ॥
॥उव उवन.॥ अवगाहिय नंतानंतु दिस्टि रै सब्द मऊ,
सयनासन समभाउ प्रेम रस अमिय मऊ । अवगाहन न्यान अन्मोय न्यान पय न्यान रऊ, सु न्यान न्यान उववन्न अवगाहन मुक्ति पऊ ॥ २१ ॥
॥ उव उवन. । गुरुलहु समय स उत्तु सु समय सु साहियऊ,
सम समय सरन जिन उत्तु सु गुरुलहु गाहियऊ । ऊंच नीच नहु दिलु सु समय सु सिद्धि मऊ, अन्मोय न्यान सुइ उत्तु ममल रस मुक्ति पऊ ॥ २२ ॥
॥उव उवन.॥ सु अव्वावाह अनंतु सु बाधा विलय मऊ,
सु भय षिपनिक है भव्वु अमिय रस रमन पऊ । भय सल्य संक विलयंतु सु बाधा विलय मऊ, सु नंत चतुस्टय जुत्तु अभय जिनु मुक्ति पऊ ॥ २३ ॥
॥ उव उवन.॥ सु सिद्ध भाउ उवलद्ध सु साहिय सिद्ध पऊ,
सम समय संजुत्तु जिनुत्तु जिनेन्द सु समय मऊ । सु दिप्ति दिस्टि सु सब्द सु हेय रस रमन रऊ, सिह समय संजुत्तु स उत्तु ममल रै सिद्धि रऊ ॥ २४ ॥
। उव उवन.॥
(९७) परमिस्टि तीसी गाथा
गाथा १९६७ से १९९६ तक
(विषय: विवान-५, अक्षर, स्वर, व्यंजन, कमल दल) परमिस्टि उवन उव उत्तं,
उत्तं उव उवन उवन जिन दिटुं । जिन दिस्टि इस्टि सुइ समयं,
समयं सुइ उवन केवलं न्यानं ॥ १ ॥ सुर्य सुइ उवन सु उवनं,
उवनं सुइ उवन उवन मै उवनं । उवन कमल सुइ कर्न,
उवनं अवयास कमल सुवनं च ॥ २ ॥ उवन सुयं सुइ ममलं,
ममलं सुइ अर्क हियन सह समयं । समयं सुइ उवन सु नंतं,
नंतं सुइ उव उवन हियं सहियं च ॥ ३ ॥
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