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श्री ममल पाहुइ जी
(१३) अतिसय चौतीस फूलना
गाथा १८७६ से १९१३ तक
(विषय! अरिहंत भगवान के ३४ अतिशय) उव उवनं उवन उवन सुइ रमनं,
रमन विंद सुइ रमन जयं । विन्यान विंद सुइ सहज रमन जिनु,
अन्मोय न्यान तं ममल पयं ॥
__ भवियन कमल रमन जिन जिनय जिनं ॥ १ ॥ उव उवन पयं जिननाथ सुयं,
जिन जिनयति नंत अनंत रयं । पर्जय भय गलिय ममल पय मिलियं,
भय षिपिय अमिय रस परम पयं ॥ भवियन अन्मोय तरन सुइ सिद्धि जयं ॥ २ ॥
॥ आचरी॥ तं अर्क सु अर्क अर्क सुइ रमनं,
अर्क अमिय रस रमन सुयं । तं अर्थ स अर्थ अर्थ सुइ दर्स,
तं विंद रमन विन्यान पयं ॥ भवियन वैदिप्ति रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ३ ॥
॥ उव उवन.॥ नितं तं नित नित रै रमनं,
अयसय तं लोयलोय भुवनं ।
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जं नितय नित त्रित पय कलियं,
तं पय रवनं सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ४ ॥
॥उव उवन.॥ नितं तं नंत नंत रै रमनं,
उव उवन विली सुइ विषय विलं । भुक्त विनंद विली सुइ विलयं,
अयसय सुइ ब्रित सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन जिनरंज रमन जिनु मुक्ति जयं ॥ ५ ॥
॥ उव उवन.॥ निरु निस्चन मिलिय मै रमनं,
न्यान विन्यान सुइ उवन पयं । मिस्टं तिअर्थ तं इस्ट ममल पय,
उत्पन्न नंत धुव सिद्धि जयं ॥ भवियन धम्म रमन तं परम पयं ॥ ६ ॥
॥ उव उवन.॥ षिपनिक सुइ रमन रमिय गो उवनं,
धीर वीर विन्यान रयं । अयसय तं रमन नंत नंताहिउ,
विन्यान वीय सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन ममल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ७ ॥
॥ उव उवन.॥
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