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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
अनुकम्पा अन्यान षिपक जिनु,
न्यान अन्मोय सु रमन जिनं । न्यान दिप्ति तं दिस्टि रमन जिनु, तं न्यान दान अनुकम्प रयं ॥ ११ ॥
॥आयरन.॥ इय अस्ट गुनं अस्टंग रमन जिनु,
आयरन न्यान विन्यान सुयं । दिप्ति दिस्टि आयरन ममल पय,
न्यान आयरन सु मुक्ति पयं ॥ आयरन परम जिन परम सुयं ॥ १२ ॥
। आयरन.॥
श्री ममल पाहुइ जी सुइ न्यान दिप्ति तं दिस्टि रमन जिनु, जन कल मन मोहंधु विलं ॥ ६ ॥
|| आयरन.॥ गम अगम्य तं ग्रहन उवन जिनु,
हिययार उवन उव उवन सुयं । सहयार उवन तं उवन जान पौ, तं वज्र ग्रहन जिननाथ सुयं ॥ ७ ॥
॥आयरन.॥ उवसम संसार सरनि सुइ विलयं,
षिपनिक सुइ षिपिय सुयं जिनियं । षिऊ उवसम तं षिपक रमन जिनु, तं विंद रमन उत्पन्न समं ॥ ८ ॥
|आयरन.॥ भय विनासु तं भत्ति रमन जिनु,
अर्थ तिअर्थ सु भत्ति सुयं । भय षिपनिक तं ममल रमन जिनु, अमिय रमन तं विष विलयं ॥ ९ ॥
॥आयरन.॥ बारम्बार इच्छ जिन जिनयति,
इच्छ रमनु तं न्यान रमं । न्यान रमन विन्यान ममल जिनु, वाछिलु इच्छ तं परम पयं ॥ १० ॥
॥ आयरन.॥
(८७) धम्म आयरन फूलना गाथा १७८० से १७९२ तक
(विषय : धर्म के दशलक्षण) गुन आयरन धम्म आयरनं,
आयरन न्यान पय परम पयं । तव आयरन जिनय जिन उत्तं,
आयरन तिअर्थ सु ममल पयं ॥
उव सम षिम रमन सु ममल पयं ॥ १ उव उवन पयं उव समय समं,
तं विंद रमन उव सुन्न समं ।
॥
(२९१)