________________
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी जं अर्थति अर्थ दिपि दिपियं, तं दिस्टि सब्द रस रैयं । भय सल्य संक सुइ विलयं, तं दिप्ति दिस्टि सिद्धि मिलियं ॥ १६ ॥
॥जंन्यान.॥ जं लोक विंद अवलोयं, परिनामु सरीर संजोयं । सहयार सरीर सु कलियं, भय विलय सिद्धि सुइ मिलियं ॥ १७ ॥
॥जंन्यान.॥ भय षिपनिक भव्वु स उत्तं, सुइ अमिय रमन रस जुत्तं । विन्यान विंद रस रमियं, तं ममल रमन सिद्धि मिलियं ॥ १८ ॥
॥ जंन्यान.॥ जं तारन तरन सुभावं, तं दिप्ति दिस्टि स सहावं । जं सब्द कमल जिन उत्तं, तं समय सिद्धि सम्पत्तं ॥ १९ ॥
॥ जंन्यान.॥
आयरन उवन हिययार गुपित जिनु,
आयरन अमिय रस मुक्ति जयं । भय षिपनिक सुइ ममल रमन जिनु,
तं विंद रमन रै जिनय जिनं ॥ भवियन अन्मोय तरन जिननाथ सुयं ॥ २ ॥
॥आचरी॥ जय जय जयवंतु जय जय उवने,
उव उवन जयं हिययार जयं । सहयार जयं जयवंत ममल रस, अन्मोय तरन सुइ सिद्धि जयं ॥ ३ ॥
॥ आयरन.॥ संवेउ सुयं सुइ उवन परम जिनु,
परम तत्तु तं परम पयं । संवेउ हिय सहइ सहज जिनु, भय सल्य संक विलयंतु सुयं ॥ ४ ॥
|| आयरन.॥ निव्वे निरु विक्त ममल जिनु,
___ ममल रमन जिनु ममल पयं । जं राग दोष गारव भय विलयं, पर पर्जय विलय सु मुक्ति पयं ॥ ५ ॥
॥आयरन.॥ निंदा अन्यान दिप्ति नहु रमनं,
दिस्टि गलिय भय मिच्छ पयं ।
(८६) संमिक्त अस्ट गुण फूलबा
गाथा १७६८ से १७७९ तक
(विषय : सम्यक्त्व के आठ गुण) उब उबन कमल उबबन्न परम पय,
परम तत्तु पद विंद सुयं । आयरन चरन आयरन सुयं जिनु,
अर्थति अर्थ सु ममल पयं ॥ आयरन परम जिन परम सुयं ॥
१
॥
२९०)