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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी नो उत्पन्न हो रमन पउ, सुइ न्यान रमन सिद्धि रत्तु ॥ १८ ॥
॥ जिन. ॥ कमलह कलियौ हो दर्स जिनु,
कमल चतुर्दस दिस्टि । दानह दर्सिउ हो नंत पउ, सुइ लब्धि सिद्धि सम्पत्तु ॥ १९ ॥
॥ जिन. ॥ कमल भुक्तउ हो कलन पर,
कलनह केवल उत्तु । उव उवनह भुक्तह हो परम जिनु, सुइ समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ २० ॥
॥ जिन. ॥ कमलह वीय हो विन्यान पउ,
वीर्यहं फलु जिनु उत्तु । कलन सहावे हो मुक्ति पउ, उव कलन समय सिद्धि रत्तु ॥ २१ ॥
॥ जिन. ॥ कमलह कलियौ हो जिन वयनु,
सम समय उवन संजुत्तु ।। उव उवन उवनउ हो समय पउ, सह समय उत्तु संमत्तु ॥ २२ ॥
॥ जिन. ॥
कमलह कलियौ हो चरन पर,
कर्नह चरन चरंतु । तारन तरन सहाउ मउ, सह समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ २३ ॥
॥ जिन. ॥ सुयं सहावे हो सुयं जिनु,
सुयं लब्धि संजुत्तु । षोढसु भावे हो परिनवै, सुइ कलन मुक्ति सम्पत्तु ॥ २४ ॥
॥ जिन. ॥ सुइ श्रेनि सहावे हो कलन मउ,
सुइ तार कमल जिन उत्तु । अन्मोय सहावे हो परम जिनु, सह समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ २५ ॥
॥ जिन. ॥
(८३) परमिस्टि बत्तीसी फूलना
गाथा १६९९ से १७३१ तक
(विषय : कमल दल , परमेष्ठी चौबीस) जिन उवन उवन मौ इस्ट उवन पौ,
उवन सब्द दसैंतु । जिन उवन अर्क रै विंद समय सुइ,
विन्यानविंद दर्सतु ॥ १
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