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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
दिप्ति दिस्टि जय ममलं,
ममलं जय दिस्टि दिप्ति सुइ नंतं । दिप्ति दिस्टि जय जयनं,
जय जय जय रिसिय सब्द पिय रमनं ॥ २२ ॥ सब्द पियं जय रमनं,
___पिय सहकारेन जयो जिन सब्दं । सब्द प्रियो प्रिय सब्द,
उवनं जय रिसिय समय निर्वानं ॥ २३ ॥ रिसियं रिहि जय रिहियं,
___ अबलबलेन जयं रिसि रिहियं । उवन कर्न हिय कमलं,
कमलं सुइ कर्न रिसिय निर्वानं ॥ २४ ॥ जय जय जय जयंति सुइ जैयं,
जय जय दिप्ति दिस्टि जय सब्द । जय सुवनं जय हियनं,
जय हुव जय अवयास सुइ कमलं ॥ २५ ॥ कमल कर्न सुइ जयनं,
जय उववन्न विषय सुइ विलयं । बाधा अवध सुइ सहजं,
उवनं जिन विषय जिन जयनं ॥ २६ ॥ जय रमनं जय उवनं,
जय सुवनं जय हिय उवन जय कमलं ।
रमन कषाय सु विलयं,
जय उवनं जिनवरेन्द जिन वयनं ॥ २७ ॥ जय उत्तं जय वयनं,
जय कर्न सहयार जयं जय रमनं । जय अर्क अर्क सुइ कमलं,
कमलं सुइ कर्न जयं निर्वानं ॥ २८ ॥ मुनि सिय धुव सुइ रमनं,
दिप्तिं सुइ दिस्टि सब्द पिय जयनं । जय न्यान विन्यान सु सुवनं,
मै उवनं उवन केवलं न्यानं ॥ २९ ॥ जय सिय जय धुव जय कलनं,
__ जय कमलं कर्न मुनिय जय रमनं । जय अर्क अर्क सुइ ममलं,
सिय धुव मुनि अर्क समय निर्वानं ॥ ३० ॥ हिय हुव अर्क सु मुनियं,
अवयासं उवन अर्क जय कमलं । कमलं कलन सु कन,
कर्न सुइ विंद समय निर्वानं ॥ ३१ ॥ अनयार अर्क जय उवनं,
कप्प वियप्प विलय जय उवनं । अन्मोय विरोह सु विलयं,
विलयं सुइ सरनि जिनय जय उवनं ॥ ३२ ॥
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