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श्री ममल पाहुइ जी उव उवन पयं दिपि दिस्टि रयं,
उत्पन्न सब्द पिउ नंत सुयं । उत्पन्न साहि उत्पन्न ग्रहं,
उव उवन अनंतानंत साहं ॥ २० ॥ जं उवन उवन उत्पन्न उवन,
तं दिस्टि सब्द पिउ उवन उवं । उव उवन सुयं उव समय समं,
सिहु समय उवन सुइ सिद्धि जयं ॥ २१ ॥
(७७) चितनोटा फूलना
गाथा १५६८ से १५८७ तक
(विषय : दर्शन-४, ज्ञान-१, अर्थ-१, सक-१७) जिन उवएसिउ न्यान मऊ हो, अर्थति अर्थह जोउ । यहु पंच दिप्ति परमिस्टि मऊ हो, है न्यान पंच संजुत्तु ॥ १ ॥ चितनौटा मेरे मन रहियो रे, यहु उपजिउ है ममल सुभाउ । चितनौटा मेरे मन रहियो रे, यहु भय षिपनिक है भव्वु ॥
चितनौटा मेरे मन रहियो रे ॥ सर्वंगह जोति कराई ॥ चित. ॥
पद विंदह केवल न्यानु || चित. ॥ मैं जानिऊ है अलष निरंजन देउ ॥ चित. ॥ आचरी ॥ २ ॥ यहु पंचाचार सु चरन मऊ हो, सम्मत्तह सहियौ उत्तु । यहु न्यान दिस्टि सम चित्त मऊ हो, है न्यानीय न्यान सउत्तु ॥ ३ ॥
॥ चित. ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी यह लषियौ लष्य अलष रुई हो, है लोयालोय प्रमानु । यहु अप्प सहावे परिनवै हो, है सुद्ध सचेयन सारू ॥ ४ ॥
॥ चित. ॥ यहु ममल अन्मोयह पूरियौ हो, परम पय ममल सुभाउ । यहु परमनंद परमिस्टि मऊ हो, है मुक्ति रमनि सुभाउ ॥ ५ ॥
॥ चित. ॥ यह अंगदि अंगह न्यान मऊ हो, सर्वगह ममल सहाउ । यह न्यान अन्मोयह नृत मऊ हो, है न्यानीय न्यान सउत्तु ॥ ६ ॥
॥ चित. ॥ यहु दर्सन दर्सिऊ चष्य मऊ हो, अदर्सन गलिय सुभाऊ । यह न्यान दिस्टि परिनाम मउ हो, अन्यान दिस्टि विलयंतु ॥ ७
॥ चित. ॥ अचष्य सु दर्सन दर्सियौ रे, दर्सिउ है ममल सहाउ । अन्यान सुभाउ न उपजै हो, यह न्यान सहाउ अन्मोय ॥ ८ ॥
॥ चित. ॥ यह अवधि हि ऊर्ध अंकुरै हो, वीरजु है नंतानंतु ।। यह न्यान दिस्टि नित सहियौ रे, अन्यान अनिस्ट गलंतु ॥ ९ ॥
॥चित.॥ यह केवल ममल सहाउ मउ हो, है नंतानंत सु दिस्टि । जं भय विनास तं सहियौ रे, सो मुक्ति रमनि संजुत्तु ॥ १० ॥
|| चित. ॥
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