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श्री ममल पाहुइ जी उवन हिययार सहयारं, सहयारं हिययार उवन विन्यानं । तरन विवान अन्मोयं, न्यानह सुयं सहावेन सहज निर्वानं ॥ ३ ॥ हिययार उवन सहयारं, नंदं आनंद न्यान तह ममलं । भय षिपनिक अमिय रस रवनं, अन्मोयं तरन न्यान निर्वानं ॥ ४ ॥ दिपि दिस्टि उवन हिययारं, दिपि दिस्टि सहयार लंकृतं ममलं । भय षिपिय अमिय रस रूवं, अन्मोयं तरन सिद्धि सम्पत्तं ॥ ५ ॥ जिन असम समय सुइ उवनं, उवनं हिययार साह संजुत्तं । तित्थयर अर्थ आयरनं, साहिय सम समय सिद्धि सम्पत्तं ॥ ६ ॥ गम अगम समय सुइ उवनं, गम अगम भव्य साहि संजुत्तं । गम अगम न्यान सुइ उवनं, साहिय सुइ समय सिद्धि सम्पत्तं ॥ ७ ॥ तं तारन तरन अन्मोयं, भय विलयं अभय भव्व उव उवनं । अन्मोय तरन सुइ समय, दिपि दिस्टि सब्द पिय सिद्धि सम्पत्तं ॥ ८ ॥ आयरन कोड सुइ उवनं, भय रहियं भव्य अभय संजुत्तं । सम समय साह भवियनं, रंज रमन नंद सिद्धि सम्पत्तं ॥ ९ ॥ तारन तरन सु उवनं, उवनं सुइ नंद कोड सुइ उवनं । अन्यान विरोह विनंद, सुव सुवन रंज विनंद विलयंति ।। १० ।। अवयास उवन उव उवनं, उवनं अन्मोय तारनं तरनं । सुव सुवन रंज जिन रमनं, कलनं अन्मोय सिद्धि सम्पत्तं ॥ ११ ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी किंतिय दिस्टि उवनं, केय अस्थान दिस्टि इस्टं च । किं दिस्टि इस्टि सुइ पीऊ, किं अस्थान दिस्टि सस्टि उवनं च ॥ १३ ॥ दिप्ति दिस्टि संजोयं, सब्द सहावेन केय उप्पत्ति । किं सब्द इस्टि उव उवनं, किं संजोय मुक्ति गमनं च ॥ १४ ॥ दिप्ति दिस्टि सुइ सब्द, पीऊ सभाव इस्टि उवनं च । किं अमिय रमन विष विलयं, किं सहकार मुक्ति गमनं च ॥ १५ ॥ किं रंज रमन आनंद, किं अर्क सु अर्क अर्क जिन अकै । किं अर्क विंद सुइ सुवनं, किं अर्क सि अर्क मुक्ति गमनं च ॥ १६ ॥ किं अर्क गम्य जिन गमनं, किं अर्क अगम्य नंत जिन नाहं । किं अर्क सुर्य सुइ ममलं, किं अर्क उन मुक्ति गमनं च ॥ १७ ॥
(स) उखन उवन धुव गाथाउव उवन धुवं उव उवन सुयं,
तं अर्क विंद जिननाथ जयं । उव उवन समं उव समय सुयं,
सिहु समय उवन सुइ सिद्धि जयं ॥ १८ ॥ उव उवन जयं उव उवन समं,
उव उवन समय उववन्न सुयं । उव उवन पयं उत्पन्न समं,
उव उवन स नंतानंत रयं । उव उवन सहं उत्पन्न ग्रहं,
उव उवन सलष्य अलष्य पयं ॥ १९ ॥
(ब) किं दिप्त गाथा - किंतिय दिप्ति उवनं, के अस्थान केय दिपि दिपियं । केपि दिप्ति घन पीऊ, किंपि अस्थान न्यान पीयं च ॥ १२ ॥
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