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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी मऊ ॥ सुतह भेय है सप्त सउत्तु, सब्द सहावे ममल मुनंतु । सब्द असब्द सुइ समय सब्द विन्यान विनय संजुत्तु, सब्द भेय श्रुत नंतानंतु । असब्द साहन तं विनि है ॥ १० ॥ ॥सिद्धह.॥ मुनहु ॥ श्री ममल पाहुइ जी अवयास इस्ट है नंत अनंतु, उवन अवयासह सहज संजुत्तु । न्यान अन्मोय सु ममल पऊ ॥ अन्मोय इस्ट तं न्यान संजुत्तु, कम्मु गलिय तं नंत अनंतु । षिपक इस्टि तं षिपक मऊ ॥ ७ ॥ ॥सिद्धह.॥ मुक्ति इस्ट है मुक्ति सुभाउ, लोय अलोयह नंत सहाउ ।। मुक्ति सरूवे मुक्ति पऊ ॥ नंत सौष्य तं नंत अनंतु, सुयं विपकु तं सिद्ध स उत्तु । सिद्धि संजुत्तउ ममल पऊ ॥ ८ ॥ ॥ सिद्धह.॥ अष्यर रमनह अषय पउत्तु, सुर रमनह है सिद्धि संजुत्तु । विन्यान रमन तं ममल पऊ ॥ विंजन सहियौ विनय स उत्तु, पय उत्पन्न जु सब्द संजुत्तु । सब्द सहावे ममल पऊ ॥ ९ ॥ ॥ सिद्धह.॥ गुप्ति सब्द है उवन सहाउ, गुहिज गुपित तं सब्द सहाउ । गुरु गुपितह रुचियौ सब्द सहावे कमल मुनंतु, कमल स उत्तउ ममल पउत्तु । कमलह कलियौ मुक्ति पउ ॥ ११ ॥ ॥ सिद्धह.॥ मऊ ॥ सुयं अस्कंधह सहज सरूवं, सुर्य सुभाउ सु ममल अपारू । सुयं सुलष्यन लषिय सुयं सु कलियौ कलस सहाउ, सुयं सरूवे सिद्ध सुभाउ । सुयं अस्कंध सु ममल पऊ ॥ १२ ॥ ॥ सिद्धह.॥ (२४८)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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