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________________ श्री ममल पाहुइ जी श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जं समय सिरी सुइ श्रेनि सहाई रे, तं उवन उवने सुव उवनु सहाई रे ॥ १७ ॥ ॥ उव. ॥ सुइ अभय रंजु अन्मोय रमाई रे, सुइ उवन उवनी तव सिरीय सहाई रे । जं वज्र सहाई समय सिरी सयन सहाई रे, हिययार सहावे उव उवन रमाई रे ॥ १८ ॥ ॥ उव. ॥ उव उवन उवन उव उवन रमाई रे, हिययार जै रमन सुयं सुव स्रवन सहाई रे । तं उवन सहावे सह सहज सुभाई रे, अन्मोय कलन सिरी मुक्ति लहाई रे ॥ १९ ॥ ॥ उव. ॥ जं समय सिरी सुइ वन सहाई रे, अन्मोय उवन उवने श्रेनि सहाई रे । तं उबन उबने वै रमन सुभाई रे, सुइ सुयं सुवन रंजु उवन सुभाई रे ॥ २० ॥ ॥ उव. ॥ सुइ उवनु सहज रंजु सहज सुभाई रे, उव उवन उवनी सुइ कलन सहाई रे । तं उवन स्यन सिरि रमन रमाई रे, अन्मोय कलन सिरी सिद्धि लहाई रे ॥ २१ ॥ ॥ उव. ॥ कमल चरन सुइ कर्न जिनुत्तं, हंस सुवन अवयास संजुत्तं । दिप्ति सु दिप्ति अभय जिन रमनं, सुर्क अर्थ विंद सिद्धि सु गमनं ॥ २२ ॥ ॥ उव. ॥ नंद अनंद समय सुइ उवनं, हिय अलष अगम्य उवन जिन रमनं । सहयार रमन सुइ रंज जिनुत्तं, उवन षिपन सुइ ममल सिद्धि रत्तं ॥ २३ ॥ ॥ उव. ॥ उवन अर्क सुइ उवन जिनुत्तं, विन्यान बीस चौ उवन संजुत्तं । सहयार हिययार उव उवन सु रमनं, सुइ उवन सहाव सिद्धि सुइ गमनं ॥ २४ ॥ ॥ उव. ॥ कलिय कलन कर्न उवन जिनुत्तं, उवन कमल सुइ चरन संजुत्तं ।
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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