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श्री ममल पाहुइ जी परम सु परम परम जिन जिनयति.
जिनय जिनंद जिनय जिन आयरो ॥ १५ ॥ सहयार सिरी तं सहज रमन पऊ,
रमन सु रमन सु रमन पऊ । सहजे सहज सनंद सनंद रमन पऊ,
तं गुपित स गुपित स गुहिज रमन रस ॥ रमन सनाथ जिनय जिन,
रमन सु रमन रमन जिन आयरो ॥ १६ ॥ उत्पन्न सिरी हिययार रमन रै, रमन सु अर्क सु अर्क अर्क जिन,
विन्यान विंद रस रमन पऊ । सहयार सिरी तं लष्य अलष मऊ, श्री समय स रमन सु सिद्ध सु सिद्धि मुक्ति पऊ आयरो ॥ १७ ।।
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी साधु साह स उत्तं, सहयारं अवयास धुवं धुव उवनं । दिप्ति दिस्टि सुइ सब्द, पिउ संजोय धुवं धुव निस्चं ॥ ३ ॥ धुव उत्तं धुव कन, धुव उवनं अवयास हेय आक्रिनं । धुव बिपि धुव सहयारं, धुव सिय धुव कमल कलन निर्वानं ॥ ४ ॥ धुव हिय धुव हुव जुत्तं, धुव आयरन चरन संजुत्तं । धुव विवान विन्यानं, धुव सिय कमल कलन निर्वानं ॥ ५ ॥ धुव रमनं धुव सुवनं, धुव मय धुव सुवन सब्द संदर्स । धुव लष्य लष्य सुइ उवनं, धुव गम्य अगम कमल निर्वानं ॥ ६ ॥ धुव उत्तं धुव सुवनं, धुव वयनं धुव उवन नंत सुइ न्यानं । धुव रयनं धुव गहनं, धुव पद कोड कमल निर्वानं ॥ ७ ॥ धुव गमनं धुव सहनं, धुव मिलनं रमन नंत हिय रमनं । सह रमनं धुव कलनं, आक्रिनं च कमल निर्वानं ॥ ८ ॥ जं उववन्न सहावं, उवनं सुइ अर्क अर्क सुइ रमनं । अर्क विंद सहकारं, उवनं आक्रिन कमल निर्वानं ॥ ९ ॥ सिय सिय सिय सुइ सुवनं,
सिय हिय सिय पिय उवन सुइ रमनं । सिय उवन उवन सुइ गमनं,
सिय धुव आक्रिन कमल निर्वानं ॥ १० ॥ सिय धुव उवन सहावं, साहिय साहंति अगम गम रमनं ।
आक्रिन समय सम समयं, कमलं आक्रिन कलन निर्वानं ॥ ११ ॥ उववन्न निधि उववन्नं, उववन्नं आक्रिन विंद सुइ रमनं । साहंति समय सह सुवनं, कमलं आक्रिन उवन निर्वानं ॥ १२ ॥
(४३) अवहि दर्सन गाथा गाथा ८४७ से ८७३ तक
(विषय : विवान-१) चष्यं चष्य स उत्तं, अचष्यं आक्रिन हेय संजुत्तं । चष्यं अचष्य रमनं, कमलं कलनं च सिद्धि सम्पत्तं ॥ १ ॥ अचष्य सुभाव स उत्तं, अवध्यं अवयास ससरूव संजुत्तं । उववंन निधि सं सुवनं, अवहि अवयास गुरुव गुरुवं च ॥ २ ॥
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