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श्री ममल पाहुइ जी भय विलयं ममल सहावं, परिनाम न्यान सुर्य च अटुंमि ।। नौ सहकार संजुत्तं, नौ सै बहत्तरम्मि न्यानं च ॥ २७ ॥ तिअर्थ अर्थ सहियं, साठिं परिनाम न्यान विन्यानं । लष्यन जिन उवएस, सहसं अटुंमि न्यान ममलं च ॥ २८ ॥ चौबीसं च संजुत्तं, तित्थयरं उववन्न न्यान विन्यानं । भय विनस्ट सहकारं, ममल सहावेन सिद्धि सम्पत्तं ।। २९ ।। लण्यन जिन उवएस, न्यानं विन्यान सहाव ममलं च । भय षिपियं ममल सहावं, धम्मं स सहाव लष्यनं ममलं ॥ ३० ॥
(३७) हो जोगी फूलना
गाथा ७२० से ७४४ तक (विषय : अर्थ पय, ॐ हीं श्रीं तीन अर्थ की महिमा, धर्म का स्वरूप,
____जिनमार्ग के योगी की साधना, १४ दृष्टि) जोगी हो जिन मारग जोगी, जोयो न्यान विन्यानं । नंद आनंदह चिदानंद मै, सहजनंद स सहाउ ॥ १ ॥ हो जोगी जिन मारग जोगी जोयौ नंतानंतु । नंत विसेषे दर्सन दर्सइ, वीर्ज सौष्य स उत्तु ॥ २ ॥
॥आचरी॥ जिन उवएसिउ ममल सरूवे, ममल सिद्धि सभाउ । भय षिपनिक है भव्वु स उत्तउ, सहज मुक्ति ससहाउ ॥ ३ ॥
॥ हो जोगी.॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जिनियौ जिनवर न्यान सरूवे, कम्मु अनंतानंतु । अमिय पयोहर न्यान विन्यानह, धम्म सहाव संजुत्तु ॥ ४ ॥
॥हो जोगी.॥ जिनियौ जिनवर उत्तउ सहजे, मुक्ति पंथ सुभाउ । ममल सहावे सिद्धि सरूवे, भय षिपिय सिद्धि ससहाउ ॥ ५ ॥
॥हो जोगी.॥ जिनवर उत्तउ ममल सरूवे, उवनउ दाता देउ । अमिय रसायन धम्मह सहियौ, मुक्ति पंथु दरसेई ॥ ६ ॥
॥हो जोगी.॥ देउ उवनउ न्यान सरूवे, दाता देव सहाउ । परम देव जो परम ऊवनौ, ममल सिद्धि स सहाउ ॥ ७ ॥
॥हो जोगी.॥ न्यान विन्यानह परम न्यान मै, उवनौ दाता सोई। भय षिपनिक तं भव्वु उवएसिउ, परम देउ सम सोई ॥ ८ ॥
॥ हो जोगी.॥ अमिय हरसियौ परम सुभावह, धम्मु ति अर्थह जोई । देव जु कहियो परम देव सुइ, सिद्धि मुक्ति सम सोई ॥ ९ ॥
॥हो जोगी.॥ उर्वकार उनु जु सहियौ, उवनउ उवन सहाउ ।। ममल सहावे कम्मु जु विलियौ, भय षिपिय मुक्ति स सहाउ ॥ १० ॥
॥ हो जोगी.॥
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