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श्री ममल पाहुड़ जी
जिन इच्छ लघु इच्छाइ लघु,
इच्छंतउ जिन पिच्छ लघु पिच्छाइ लघु,
सुभाउ ।
जिन लषियौ न्यान सहाउ ॥ २ 11 विन्यान समय लषि सिद्धि पऊ ॥ आचरी ॥
जिन अषय लघु जिन सुरय लघु,
जिन लक्ष्य पयं पद अर्थ सुयं,
सम अर्थ
जिन विंजन लषिय सुभाउ ।
जिन अर्थ लघु तिअर्थ लघु,
लप्य
जिन लक्ष्य कम्मु विलयंतु ॥
लषंतउ न्यान लघु परमर्थ लघु,
विन्यानु ।
जिन लप्य मयं विन्यानु ॥ ४ ॥
॥ जिन. ॥
जिन परिनै लघु परमान लघु,
जिन लप्य सहकार लघु जिन उत्तु लघु,
जिन लक्ष्य धुवं जिन स सरूवं,
३ ॥ ॥ जिन. ॥
जिन लप्य कम्मु
सहाउ संजुत्तु ।
गलयंतु ॥ ५ 11 ॥ जिन. ॥
जिन लषि अलष्य अन्मोयं ।
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अन्मोय लघु तं षिपय लघु,
षिपि षिपिय कम्मु सुइ भेउ ॥
जिन षिपक लघु तं मुक्ति सुषु,
जिन कमल लघु जिन रमन लघु,
जिन अलष लषिय जिन उत्तु । जिन लषियाँ लंकृत उत्तु ॥
जिन लक्ष्य सुद्ध तं नंत बुधु, जिन सहज लघु जिन नंद लघु, जिन नंद
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
जिन राग लघु जन रंज लघु,
६ || ॥ जिन. ॥
जिन लषिय विन्यान सहाउ ।
लघु
कल रंज लघु जिन दोस लघु,
७ ॥
॥ जिन. ॥
जिन न्यान लघु जिन नंत लघु, जिन नाना प्रकार स लघु । जिन अन्मोय लषु जिन षिपक लघु, जिन लषिय मुक्ति संजुत्तु ॥
॥ ८ || ॥ जिन. ॥
९ ॥ ॥ जिन. ॥
जिन सल्य राग विलयंतु ।
जिन लषिय दोस विलयंतु ॥
१० ॥ ॥ जिन. ॥