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________________ श्री ममल पाहुड़ जी जिन इच्छ लघु इच्छाइ लघु, इच्छंतउ जिन पिच्छ लघु पिच्छाइ लघु, सुभाउ । जिन लषियौ न्यान सहाउ ॥ २ 11 विन्यान समय लषि सिद्धि पऊ ॥ आचरी ॥ जिन अषय लघु जिन सुरय लघु, जिन लक्ष्य पयं पद अर्थ सुयं, सम अर्थ जिन विंजन लषिय सुभाउ । जिन अर्थ लघु तिअर्थ लघु, लप्य जिन लक्ष्य कम्मु विलयंतु ॥ लषंतउ न्यान लघु परमर्थ लघु, विन्यानु । जिन लप्य मयं विन्यानु ॥ ४ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन परिनै लघु परमान लघु, जिन लप्य सहकार लघु जिन उत्तु लघु, जिन लक्ष्य धुवं जिन स सरूवं, ३ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन लप्य कम्मु सहाउ संजुत्तु । गलयंतु ॥ ५ 11 ॥ जिन. ॥ जिन लषि अलष्य अन्मोयं । १९१ अन्मोय लघु तं षिपय लघु, षिपि षिपिय कम्मु सुइ भेउ ॥ जिन षिपक लघु तं मुक्ति सुषु, जिन कमल लघु जिन रमन लघु, जिन अलष लषिय जिन उत्तु । जिन लषियाँ लंकृत उत्तु ॥ जिन लक्ष्य सुद्ध तं नंत बुधु, जिन सहज लघु जिन नंद लघु, जिन नंद श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जिन राग लघु जन रंज लघु, ६ || ॥ जिन. ॥ जिन लषिय विन्यान सहाउ । लघु कल रंज लघु जिन दोस लघु, ७ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन न्यान लघु जिन नंत लघु, जिन नाना प्रकार स लघु । जिन अन्मोय लषु जिन षिपक लघु, जिन लषिय मुक्ति संजुत्तु ॥ ॥ ८ || ॥ जिन. ॥ ९ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन सल्य राग विलयंतु । जिन लषिय दोस विलयंतु ॥ १० ॥ ॥ जिन. ॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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