SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री ममल पाहुड जी अन्मोयह हो, मिलियो जोति सु षिपि कम्मु जु हो, मुक्ति पहुंते रयन ममल सहाए । सहाए ॥ ९ ॥ ॥ तुम्हरी ॥ सहाए । सुभाए ॥ अन्मोय दिपि दिपियो हो, देउ लंक्रित सो भय षिपनिक हो, मिलियो रमियो षिपक आनंदिउ हो, परमानंद यहु परम सुभाए । अन्मोयह हो, मिलियो जोति सु सिद्ध सुभाए ।। १० । ॥ तुम्हरी ॥ (३) श्री गुरू दिप्ति गाथा गाथा २८ से ४५ तक १ ॥ २ (विषय गुरू को स्वरूप सहित नमस्कार, अंतरात्मा की महिमा और बहुमान) गुरु उवएसिड गुपित रुइ, गुपित न्यान सहकार । तारन तरन समर्थ मुनि, गुरु संसार निवार ॥ संसय सय विमुक्कु गुरू, भय विलय अभय जिन उत्तु । अभय न्यान सुइ गुपित रुइ, न्यान विन्यान संजुत्तु ॥ गुरु गरुवो गुरु नंत पउ, गुरु दिप्ति दिस्टि दर्संतु । सब्द संजोए अमिय रसु, भय षिपिय ममल उवसु ॥ दिप्ति उवंनि न्यान मइ, दिस्टि इस्टि संजुत्तु । दिप्ति विन्यान सु गुपित मउ, दिस्टि रिस्टि सं उत्तु ॥ दिप्ति सहाउ सु समय पउ समय ममल जिन उत्तु । दिस्टि रिस्टि सुइ अमिय रसु, भय षिपिय ममल संजुत्तु ॥ ३ || ४ II ५ || 11 १५३ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी ६ ८ ॥ दिप्ति विसेष निसंक पउ, कंप्या रहित जिनुत्तु । भय षिपिय सल्य सक विलय सुई, तं अमिय रमन विष भंजु ॥ दिप्तिस उतउ व्रिति विलिय पड, ब्रिव्रिति दिप्ति जिन उत्तु । दिस्टि सिस्टि सह दिस्टि मउ, गुरु अमिय रमन रस जुत्तु ॥ दिप्ति रमनु जिन उवन पउ, उवन सहाउ संजुत्तु । दिस्टि उवन सहकार जिनु, भय षिपिय ममल जिन उत्तु ॥ दिप्ति क्रांति षट् कमल जिनु, अवयास दिस्टि दिस्टंतु । उवन हिययार सहयार रउ, ममल दिस्टि दतु ॥ दिप्ति दिप्ति सुइ दिप्ति पउ, दिस्टि नंत जिन उत्तु । भय सल्य संक विलयंतु गुरु, अमिय ममल सिद्धि रत्तु ॥ १० ॥ दिप्ति अनंत जिनुत्तु जिनु, जनरंजन रागु विलंतु । अन्मोय दिस्टि भय षिपक जिनु, अन्मोय ममल दतु ।। ११ ।। जं षिपियो नंत सु कम्मु सुइ, तं मुक्ति इस्टि इस्टंतु । ९ जं अमिय रमन विष विलय गुरू, तं ममल मुक्ति दस्तु ॥ १२ ॥ जं सहाइ चउ रह गमनु, तं साधु समय जिन उत्तु । पर्जय भय सल्य संक गलियं तं न्यान दिप्ति दतु ॥ १३ ॥ अनदिदु अनसुतु गुपित गुरू, अनहंतु दर्स दस्तु । गुपित गुहिज जै रमन मउ, तं गुपित मुक्ति जिन उत्तु ॥ १४ ॥ उवन उवन दिपि दिस्टि जिनु उवनउ दाता देउ । गुरु गुपितह सुइ रमन पउ, तं अमिय रमन रस जुत्तु ॥ १५ ॥ देउ दिप्ति हिययार सुइ, गुरु ग्रंथ सल्य भय चत्तु । गुपित रमन दस्तु सुड़, गुरु सिद्धि मुक्ति सुइ उत्तु ।। १६ ।। ७ ॥ ॥ II
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy