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________________ श्री चौबीस ठाणा जी अथ नित्य निगोद सुभाव निरूपनं - नीच निगोद सुभाव जिन उक्तं न दिस्टते। जिन उक्त सुद्ध बुद्ध विन्यान विंद । जिन उक्त उत्पन्न उत्पन्न हितकार न्यान । उत्पन्न सहकार न्यान । उत्पन्न न्यान विन्यान पद । उत्पन्न न्यान न दिस्टंति। नीच सुभावेन नीच (नित्य) निगोद । जिन उक्त सम्मत्त सम । उक्त समय सम दिस्टि न्यान अंकुर । सम दिस्टि दर्सि न्यान । सम दिस्टि वीर्ज न्यान । सम दिस्टि सद्ध सुभाव । सम दिस्टि न्यान अन्मोद । हितमित परिनै कोमल । अवगाहन न्यान जिन बली दिस्टि । अवगाहन न्यान सुयं रमन । जिन विजन सुर अगुरुलघु न दिस्टते । बाधा विलय सरीर बाधा रहित । एवं प्रभाव जिन उक्तं । जिन उक्तं न दिस्टई, न समई, न सहकारई, न दिस्टर्ड, विप्रियो कर, विप्रियो बोले। जिन समय, जिन सुभाव, जिन मिलन, न्यान रमन न दिस्टई, न रमई, न सुभावई, न समई, न सहहई, असहनी नीच सुभाव जिन उक्त विली करै नीच निगोद, जिन उक्त गुन मूल संवेग इत्यादि आठ-(८)॥न्यान व्रत अहिंसा इत्यादि । सूषिम सुभाव तत्काल उत्पन्न पय आचरन चरन । कुन्यान विवर्जितं आयरन । सुद्ध पडिमा प्रतिपून तिअर्थ -११॥ दान अनंत दर्स- ४॥ पात्र विक्त रूप-३॥ जाता उत्पन्न लंक्रित गम्य अगम्य । अन्यान असुत न्यानं न सुत रमन । दर्स रमन, न्यान रमन, चरन रमन, त्रय रमन रत्नत्रय । जिन उक्त सूष्यम सुभाव सूष्यम क्रांति । तस्य प्रभाव न दिस्यंते, न सहइ, न समइ, न सहकारइ - जनरंजन राग बंधान क्रांति कारन क्रिया । उक्त व्रत करन गुन छंडै । तव करन, पडिमा करन, दान करन, पानी गालन करन, अन्यान थुति करन, रयनत्तय करन, नीच (नित्य) मिथ्या सुभाव, भय सुभाव, सल्य सुभाव, संक सुभाव, सूण्यम करन उवएसनं करोति, जिन वयनं लोपनं करोति । श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी नीच करन, नीच सुभाव, नीच दिस्टि करन - सहकार, नीच बुद्धि, नीच सुभाव जिन उक्त लोपनं। नीच निगोद जिन उक्त - जनरंजन राग, कलरंजन दोष, मनरंजन गारव, न्यान आवर्न, दर्सि आवर्न, मोहन आवर्न, न्यान अंतर, सक, सल्य, संक, भय, कषाय, मिथ्या कुन्यान, तिविहि कम्म, अन्मोय विरोध विलय । न दिस्टि, न सब्द, न उत्पन्न, न सहकार, न औकास, न अन्मोद, न विषय, न काया, न माया, सहकार सुभाव न करोति । केन सुभावेन - जनरंजन राग, कलरंजन दोष, मनरंजन गारव, दर्सन मोहांध सुभाव-जिन उक्त न दिस्टते। न उक्त, न समई, न सहाई, न सहकार, जिन उक्त पद लोपनं नीच सुभाव -नीच निगोद ।। जिन उक्त अध्यरं - अषय रमन, परम अयर । परम सुर रमन । विजन रमन । पद रमन । अर्थ रमन । तिअर्थ रमन । समर्थ रमन । समय रमन । सहकार रमन । औकास रमन । अन्मोद रमन । न्यान षिपक रमन । मुक्ति रमन । सूष्यम सौष्य रमन । रंज रमन उत्पन्न रंज। उत्पन्न सुर्य लब्धि रंज। सोलही रंज । जं भव षिपिय रमन तं नंद रूव-१॥ हितकार रंज । हितकार सुर्य लब्धि रंज । सोलही रंज कमल परिनाम । ममल अनंत तं अमिय रमन । रोम प्रियो रमन । तं नंद आनंद -२॥ सहकार रंज । सुयं लब्धि षिपक इस्ट उत्पन्न सोलही । गुपित गुहिज परिनाम विमल अनंत नंत रंज । तं चिदानंद वैदिप्ति दिप्ति नंत दिप्ति रमन । तं नंद, आनंद, चिदानंद -३॥ (१४४)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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