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शुभकामना यह अध्यात्म चंद्र भजन माला प्रकाशित होने जा रही है। यह १ भजन मेरी स्नेहमयी बड़ी बहिन सौ. चंद्रकांता डेरिया द्वारा बनाए हुए हैं.र वैसे तो इनकी बचपन से ही धार्मिक रूचि थी तथा पिता श्री स्व.हीरालाल जीद्वारा प्रेरणा,कुछ माताजी के संस्कार,सभी मिलाकर आज जो आपके सामने पुस्तक है, यह सब उसी की ओर इंगित करता है। स्वास्थ्य की प्रतिकूलता समयाभाव के बावजूद भी, धर्म में प्रगाढ रूचि होती गई. हर धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेना, स्वाध्याय करना उनके जीवन का अभिन्न अंग बन गया, कितनी ही प्रतिकूलता रहने पर भी हमेशा मधुर मुस्कान चेहरे पर खिली रहती है। जो उनके आत्मीक आनंद की परिचायक है, इसी तरह उन्होंने धीरे-धीरे भजन बनाना शुरू किया तथा आध्यात्मिक भजन के रूप में यह माला का रूप लेकर आज प्रकाशित होने जा रही है।
हमारे जीजा जी श्री प्रेमचंद जी डेरिया ने जब उनकी धर्म में प्रगाढ़ रूचि देखी तो उन्होंने भी उनका हमेशा तन-मन-धन से सहयोग दिया तथा वे भी हर धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेते हैं। मेरी ओर से तथा परिवार की ओर से यही शुभकामना है कि वह इसी प्रकार अपने हृदय के उद्गारों को भजन के रूप में हमेशा प्रस्तुत करती रहें। भोपाल
श्रीमती प्रेमलता जैन दिनांक - २३.८.९९
एवं समस्त परिवार
मनुष्य भव : एक सुअवसर eles 7 सांसारिक मोह राग कर्म आदि की श्रृंखलाओं में बद्ध जीव को एक
तो धर्म की रूचि बहुत दुर्लभता से जागती है और फिर जागने के बाद भी र सद्गुरू या सत्संग के बिना वह स्थिर नहीं हो पाती। हमारा परम सौभाग्य है कि हमें प्रारंभ से ही धर्ममय संस्कार प्राप्त हुए। परिवार में धर्म श्रद्धा की भावनायें होने से एक-दूसरे को धर्म की आराधना,गुरूभक्ति करने में बहुत सहयोग मिल जाता है।
वर्तमान समय के बदलते परिवेश में धर्म निष्ठा में दृढ़ रहना बहुत पुरूषार्थ का कार्य है फिर भी सत्संग, सद्गुरू का शुभयोग प्राप्त हो तो फिर कुछ भी कठिन नहीं है। आज भौतिकता के युग में देखा जाये तो बड़ा आश्चर्य लगता है कि आदमी बाहर से ऊंची उड़ानें भर रहा है, अनुकूलताओं को प्राप्त कर रहा है किन्तु मानवता, धर्म और सत्य से विमुख होता जा रहा है।
यदि बाह्य संसाधनों का सदुपयोग हम अपने आत्म हित में करें तो इन्सान से भगवान बन सकते हैं। यह मनुष्य भव हमें भगवान बनने के लिए ही मिला है। यह हमारा धन्य भाग्य है कि हमें आत्म हित के मार्ग में लगाने के लिये पूज्य श्री ज्ञानानन्द जी महाराज, बाल ब्र. पूज्य श्री बसन्त जी महाराज, श्री संघ के सभी पूज्य साधक जन एवं ब्रह्मचारिणी दीदीयों का मंगलमय सान्निध्य मिला, जिनसे हमें आत्म हित के मार्ग में आगे बढ़ने की सतत् प्रेरणा, मार्गदर्शन और आशीर्वाद मिलता रहता है। हमें परम प्रसन्नता है कि हमारी आदरणीया माता जी (श्रीमती चंद्रकांता जी डेरिया) की विशेष धर्म भावनायें हमको भी धर्ममय जीवन बनाने के लिये प्रेरित और उत्साहित करती हैं। उनके द्वारा सहजता पूर्वक लिखे गये आध्यात्मिक भजन हम लोगों को अध्यात्म और धर्म की रूचि जगाने में निमित्त बने हैं। प्रस्तुत अध्यात्म चन्द्र भजनमाला में आदरणीया माताजी द्वारा लिखित भजन प्रकाशित हुए हैं। हमें अत्यंत हर्ष है कि हमारे आदरणीय पिताजी श्री प्रेमचंद जी डेरिया, धर्म कार्यों में हम सभी का निरंतर उत्साहवर्द्धन करते हैं उनकी शुभ भावनानुरूपयह अध्यात्म चन्द्र भजनमाला डेरिया परिवार गंजबासौदा की ओर से आपको भेंट करते हुए असीम प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।
यह आध्यात्मिक भजन आपके जीवन में भी अध्यात्म ज्ञान की गंगा प्रवाहित करें, यही पवित्र भावना है।
दिनांक : १४.९.९९ श्रीमती सुनीता जैन (बांदा)
(पयूषण पर्व) मुकेश कुमार, सुकेश कुमार & गंजबासौदा (म.प्र.) कु. समीक्षा डेरिया 4GB
अध्यात्म अमृत धारा स्वस्थ विचारों का अंकुरण मृदुल और निर्मल मन की धरा पर होता है। मानव मन में अनेक विचारधारायें तरंगों की तरह उठकर अस्थिरता लाती हैं, ऐसे क्षणों में आत्मा में शांति और सुख की प्राप्ति हो, यही सब जीवों का एकमात्र प्रयोजन होता है और इस प्रयोजन की पूर्ति आत्म साधना से होती है। यह भजन माला अध्यात्म का अनुपम खजाना है, इसमें अज्ञान का अंधेरा, ज्ञान की ज्योति में क्षय हो जाता है। आदरणीय मौसीजी की प्रत्येक रचना में अध्यात्म की अमृतधारा प्रवाहित होती मिलेगी। यह अध्यात्म चन्द्र भजनमाला भी ऐसी ही आध्यात्मिक रचना है, जिसका प्रत्येक शब्द अंतर्मुख होने की प्रेरणा देता है। 2 दिल्ली 2 दिनांक ५.९.९९
श्रीमती वर्षा तारण
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