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आध्यात्मिक भजन]
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[अध्यात्म अमृत भजन-४१ श्री गुरू को हमारा है शत् शत् नमन।
सन्मार्ग दाता हैं, तारण तरण || १. मिथ्यात्व अज्ञान भ्रम सब मिटाया, भेदज्ञान तत्व निर्णय मार्ग बताया। सत्धर्म निजस्वभाव शुद्धातम बताया,बाह्य क्रिया कांड का भ्रमभेद मिटाया।
मिटाया अनादि का जन्म मरण.......सन्मार्ग.... २. सम्यग्दर्शन है आतम का दर्शन, इससे ही मिटता सब जन्म मरण । ज्ञान मार्ग ही एक मुक्ति का दाता, मोह अज्ञान वश जीव भरमाता ॥
ज्ञानानंद स्वभाव की ले लो शरण .......सन्मार्ग....
भजन-४२ शुद्धातम को तरसे नजरिया, भगवन दे दो दरसिया॥ १. बिन दरशन के अंखिया तरसती।
जिनवाणी सुन नेहा बरसती ॥ तड़फत है जल बिन मछरिया...भगवन.... तुम्हारा दर्शन ही सम्यग्दर्शन । जिससे मिटता सब जन्म मरण ॥ मोक्षपुरी की डगरिया...भगवन.... तुम्हारे ही दर्शन को संयम तप करते। ज्ञान चारित्र साधु पद धरते ॥
पाते हैं शिवपुर नगरिया...भगवन.... ४. स्वानुभूति ही सच्चा सुख है।
इससे मिटता सारा दु:ख है॥ आत्मानंद बबरिया...भगवन.... हर पल हर क्षण तुमको ही ध्याते। अहं ब्रह्मास्मि सिद्धोहं गाते ॥ कर दो ऐसी महरिया...भगवन....
भजन-४३ तारण स्वामी ने जगाया, उठो आत्मा हो लाल॥ १. काल अनादि भटकत हो गये।
चारों गति में लटकत हो गये। तारण स्वामी ने बताया, बहिरात्मा हो लाल...तारण... भेदज्ञान तत्व निर्णय करलो। जीवन में व्रत संयम धरलो ॥
बन जाओ अंतर आत्मा हो लाल...तारण स्वामी ने... ३. निज की सत्ता शक्ति देखो।
रत्नत्रय चतुष्टय लेखो॥ तुम परम ब्रह्म, परमात्मा हो लाल...तारण स्वामी ने... पर पर्याय कछु मत मानो । ममलह ममल स्वभाव को जानो। खुद ध्रुव तत्व, शुद्धात्मा हो लाल...तारण स्वामी ने...
भजन-४४ गुरू तारण लगा रहे टेर, चलो चलें मुक्ति श्री॥ १. चारों गति में बहु दुःख पाये, चौरासी लाख योनि फिर आये।
अब काहे कर रहे अबेर ....चलो चलें.... २. अपने अज्ञान से भूले स्वयं को.पर का कर्ता माना स्वयं को।
अपनी ही बुद्धि का फेर....चलो चलें.... ३. भेदज्ञान तत्व निर्णय करलो, जीवन में व्रत संयम धरलो।
जग जाओ अब तो शेर....चलो चलें.... ४. तुम तो हो भगवान आत्मा, एक अखंड ध्रुव शुद्धात्मा ।
परम ब्रह्म परमेश....चलो चलें.... ५. सत्श्रद्धान ज्ञान अब करलो, वीतराग साधु पद धर लो।
ब्रह्मानंद क्यों करते देर....चलो चले....