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[अध्यात्म अमृत
भजन-३८ तन गोरो कारो, धूरा को ढेर सारो। राग में आग लगा दइयो, आतम ध्यान लगा लइयो। १. तन पिंजरे में जा आत्मा बैठी । अपनो मान के जासे चैटी ॥
भेदज्ञान प्रगटा लइयो...आतम... २. पुद्गल परमाणु का पिंड यह तन है । मोह कर्म से बना यह मन है ॥
सम्यग्ज्ञान जगा लइयो...आतम... ३. अशुचि अपावन देह यह सारी । मल मूरति हाड़ मांस की नारी ॥
माया को भ्रम मिटा दइयो...आतम... ४. आतम अजर अमर अविनाशी । पुद्गल पिंड है सदा विनाशी ॥
आतम ज्ञान जगा लइयो...आतम... ५. तन से करो तपस्या भारी । साधु पद की करो तैयारी ॥
जीवन सफल बना लइयो...आतम... आत्मानंद यह मौका मिला है । सम्यक् ज्ञान का सूर्य खिला है । मुक्ति को मार्ग बना लइयो...आतम...
आध्यात्मिक भजन
[९० २. वह अनन्त चतुष्टय धारी, उसकी लीला है न्यारी ।
महिमा अपरम्पार, निज शुद्धातम का...सेवक... ३. बिन दर्शन जग में भटका, बिन ज्ञान के चहुंगति लटका।
दृढ श्रद्धा को धार, निज शुद्धातम का...सेवक... ४. सब कर्म कषाय क्षय होते, भय शंका शल्य भी खोते ।
मुक्ति का आधार, निज शुद्धातम का...सेवक... ५. ब्रह्मानंद कर पुरूषारथ, जग छोड़ के चल परमारथ । सुख शान्ति दातार, निज शुद्धातम का...सेवक...
भजन-४० ध्रुव से लागी नजरिया, आतम हो गई बबरिया॥ १. धुव सत्ता की महिमा निराली।
इससे कटती कर्म की जाली ॥
मोक्ष पुरी की डगरिया....आतम.... २. पर पर्याय अब कछु न दिखावे।
ध्रुव ही धुव की धूम मचावे ॥ रत्नत्रय की गगरिया....आतम.... गुण पर्याय का भेद नहीं है। एक अखंड अभेद यही है ॥
ज्ञानानंद की नगरिया....आतम.... ४. ध्रुव के आश्रय भव मिटता है।
कर्म कषाय और राग पिटता है॥ ब्रह्मानंद की बजरिया....आतम.... अनन्त चतुष्टय की शक्ति जगती। केवल ज्ञान की ज्योति प्रगटती ॥ परमातम की संवरिया....आतम....
भजन -३९ करले तू दीदार निज शुद्धातम का ।
सेवक है संसार उस परमातम का ॥ १. माया लक्ष्मी उसकी दासी, वह अजर अमर अविनाशी।
सब धर्मों का सार, निज शुद्धातम का...सेवक....