________________
.
१८
..
१७५
विषयानुक्रमणिका प्रथम उन्मेष सुकुमार मार्ग के गुण ११३ पतिगत मङ्गलाचरण
माधुर्य गुण
१३
११४
२. प्रसाद गुण कुन्तक और कश्मीर शैवागम प्रन्थ की उपादेयता
३. लावण्य गुण कारिकागत मङ्गलाचरण
४. मामिजास्य गुण प्रन्थ के अभिधान, अभिधेय और प्रतीयमान वस्तु और लावण्य प्रयोजन
का भेद
१२० काग्य के प्रयोजन
| विचित्र मार्ग का स्वरूप १२२ काम्यतत्वनिरूपण
विचित्र मार्ग के गुण
१४२ काम्य का सामान्य लक्षण
1. माधुर्य गुण
१४२ काग्य का विशेष लक्षण
२. प्रसाद गुण काप्रथम प्रकार १४३ काम्य में शब्द और अर्थ का स्वरूप ३४ | प्रसाद गुण का द्वितीय प्रकार १४४ पक्रोक्तिही एकमात्र अलकार ४७ ३. लावण्य गुण . स्वभावोतिकी अलङ्कारता का
१. भामिजास्य गुण ४९ | मध्यम मार्ग का स्वरूप
१४९ शब्द और अर्थ का साहित्य | मध्यम मार्ग के गुणों का उदाहरण १५१ कविण्यापार वक्रता के छः प्रकार १२|मार्गानुसारि कवियों एवं कायों का वर्णविन्यासवक्रता
दिक्प्रदर्शन पदपूर्वाईवक्रता के प्रकार
तीनों मार्गों के साधारण गुण . १५६ प्रत्ययाश्रितवक्रता के प्रकार
..औचित्य गुण का प्रथम बाक्यवक्रता
. १५६ प्रकरणवक्रता
औचित्य गुण का द्वितीय प्रकार १५४ प्रबन्धवक्रता
२. सौभाग्य गुण .... . काम्बवन्धका स्वरूप
| साधारण गुणों का विषय १३ सहिदाहादकारिया का निरूपण ९४
कालिदास के काव्यों में अनौचित्य काव के त्रिविध मार्ग
१३ का प्रदर्शन वैदी भावि रीतियों की देशविशेष- | उपसंहार
समाश्रयता का निराकरण ९. द्वितीय उन्मेष रीतियों के तारतम्य (उत्तम, मध्यम
और अक्षम भाव)का निराकरण ९८ वर्णों की संख्या के आधार पर कविस्वभावमेद से मार्ग भेद का वर्णविन्यासबकता का त्रैविण्य ॥ निरूपण
९९ वर्णों के स्वरूप के आधार पर वर्णसुकुमार मार्ग का स्वरूप १२ विन्यासबक्रता का विष्य १७१
• प्रकार