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________________ . ( ग) 'देवो यस्य महेन्द्रपालनृपतिः शिष्योः रघुप्रामणीः।' इसके अतिरिक्त राजशेखर ने अपने को बालरामायण में 'निर्भयगुरुः, तथा कर्पूरमञ्जरी में 'बालकई कइराओं णिन्भररामस्स तह उवज्झाभो' कहकर अपने को 'निर्भयराज' का गुरु बताया है। पिशेल महोदय ने निर्भयराज और महेन्द्र पाल को एक सिद्ध किया है। इस महेन्द्रपार का पुत्र था महीपाल जो आर्यावर्त का सम्राट था। उसका उल्लेख राजशेखर ने बालभारत में इस प्रकार किया है 'तेन ( महीपालदेवेन ) च रघुवंशमुक्तामणिनाऽऽर्यावर्त्तमहाराजाधिराजेन श्रीनिर्भयनरेन्द्रनन्दनेनाराधिताः सभासदः' इत्यादि। फ्लीट महोदय ने इन महीपाल को 'भस्नीशिलालेख' के राजा महीपाल से अभिन्न सिद्ध किया है । इस शिलालेख का काल विक्रम संवत् ९७४ अर्थात् ९१७ ईसबी है । साथ ही पिशेल तथा फ्लीट महोदय ने यह भी निर्देश किया है कि राजशेखर के एक रूपक 'बालभारत' की रचना 'महोदय' नामक स्थान में हुई थी जिसे उन्होने कान्यकुब्ज अथवा कन्नौज से अभिन सिद्ध किया है। वहीं पर राजा महेन्द्रपाल एवं उनके पुत्र महीपाल ने राज्य किया था। 'सियाडोनो' शिलालेख के अनुसार महेन्द्रपाल का काल ९०३-९०७ ईसवी तथा महीपाल का काल ९१७ ईसवी है। अतः राजशेखर का काल, यदि यह भी स्वीकार कर लिया जाय कि ९.३ ई० में जब कि महेन्द्रपाल कन्नौज के सम्राट थे उस समय उनकी अवस्था १० वर्ष भी रही होगी, तो सरलता से ८६० ई. के बाद स्वीकार कर सकते हैं। अत्तः राजशेखर का समय निश्चित रूप से ८६• तथा ९३० ई० के मध्य निर्धारित किया जा सकता है। और इस प्रकार कुन्तक के काल को पूर्वसीमा ९२० या २५ ई. के बाद हो निश्चित होती है। कुन्तक के काल की उत्तरसीमा कुन्तक का नाम्ना निर्देश महिमभट्ट के व्यक्तिविवेक', विद्याधर की 'एकावली', नरेन्द्रप्रभसूरि के 'अलङ्कारमहोदधि' तथा सोमेश्वर की 'काव्यप्रकाशटोका' में किया गया है । १. बालभारत १।११। २. बालरामायण १।५ । ३. कपरमंजरी ११९। ४. बालभारत, पृ० २। ५. जैसा कि डॉ. काणे ने अपने ग्रन्थ H. S. P. में पृ० २२६ एवं उसी पृष्ठ पर पादटिप्पणी सं० १ में निर्देश किया है कि-'सोमेश्वर (folio 7a) कुमारेति यत्कुन्तक: सन्ति तत्र यो मार्गाः कवि प्रस्थानहेतवः । सुकुमारो विचित्रश्च मध्यमश्श्वोमयात्मकः ॥"
SR No.009709
Book TitleVakrokti Jivitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadhyshyam Mishr
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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