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वक्रोक्तिजीवितम्
यहाँ ( उक्तकारिका में ) 'वर्ण' शब्द 'व्यञ्जन' के पर्याय रूप में प्रयुक्त हुआ है ऐसा ( काव्यशास्त्र के ग्रन्थों में ) प्रसिद्ध होने से । अतः वह वर्णविन्यासवक्रता अर्थात् व्यञ्जनों के विशेष ढङ्ग के संयोजन की रमणीयता तीन भेदों द्वारा कही गई अर्थात् ( अलङ्कारशास्त्र के ग्रन्थों में या प्रस्तुत ग्रन्थ 'कक्रोक्तिजीवित' में तीन प्रकार की वर्णित की गई है । आखिर वे तीन भेद हैं कौन से ? यह बताते हैं - ( कभी ) एक अर्थात् केवल ( अकेला व्यञ्जन ) ही कभी दो अथवा ( कभी ) बहुत से व्यञ्जन अनेकशः उपनिबद्ध किये जाते अथवा संयोजित किए जाते हैं । कैसे ( व्यञ्जन ) - स्वल्प अन्तर वाले । स्वल्प अर्थात् बहुत ही कम अन्तर अर्थात् बीच या फासला ( व्यवधान ) होता है जिनका वे हुए तथोक्त ( अत्यल्प व्यवधान वाले वर्ण ) । वे ही ( अर्थात् कभी एक एक वर्णों का, कभी दो दो और कभी बहुत से वर्णों का बार बार विन्यास, वर्णविन्यास वक्रता के ) तीन भेद हैं- ऐसा कहे जाते हैं । यहाँ ( इस कारिका में ) दुहराने से ( वीप्सा ) ' पुन: पुन:' इस ( शब्द ) के द्वारा ' अयोगव्यवच्छेदपरक' नियम ( का विधान किया गया ) है न कि 'अन्य योगव्यवच्छेद परक' नियम का ।
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टिपण्णी - विवेचकों ने 'एव' शब्द के तीन रूप बताये हैं
( १ ) अयोगव्यवच्छेदपरक
(२) अन्ययोगव्यवच्छेदपरक और (३) अत्यन्तायोगव्यवच्छेदपरक - जैसा प्रतिपादित भी किया गया है किअयोगमन्ययोगश्चात्यन्ता योग मेव च । /
व्यवच्छिनत्ति धर्मस्य एवकारस्त्रिधा मतः ॥ इति ॥
ऊपर व्याख्या में आचार्यं कुन्तक ने इन तीन रूपों में से दो का उल्लेख किया है । यद्यपि पुनः पुनः के साथ 'एव' शब्द का प्रयोग नहीं है किन्तु बीप्सा ( द्विरुक्ति ) के द्वारा उन्होंने 'अयोगव्यवच्छेदपरक' नियम की सूचना दी है। अयोग अर्थात् असबन्ध का अवच्छेद करने वाला । जब एव का प्रयोग विशेषण के साथ होता है तो वह अयोग का व्यवच्छेदक होता है जैसे - ' राम पुरुषोत्तम एवं - यहाँ पर 'राम' विशेष्य और 'पुरुषोत्तम' विशेषण है । एव का विशेषण के साथ प्रयोग यह सूचित करता है कि विशेष्य राम में विशेषण पुरुषोत्तम का ( अयोग ) अर्थात् सम्बन्धाभाव नहीं है, अर्थात् प्रकार राम के पुरुषोत्तम होने का नियमन करता प्रयोग विशेष्य के साथ होता है तो वह 'अन्ययोग जैसा 'राम एव पुरुषोत्तमः -- यहाँ पर एवकार अर्थात् 'राम ही पुरुषोत्तम है' दूसरा कोई नहीं ।
राम पुरुषोत्तम ही है' इस है । लेकिन जब एव का का व्यवच्छेदक' होता है अन्ययोग का व्यवच्छेदक है
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