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वक्रोक्तिजीवितम् दूसरे प्रकार की प्रतीति में अनुरूपता मात्र से ( ये दोनों 'प्रवृत्ततापः' एवं 'तन्वी' शब्द ) सहृदयहृदयाह्लादकारी हो जाते हैं। वह दूसरा प्रकार है कौन सा ? ( जिसकी प्रतीति के अनुरूप होने से ये दोनों शब्द सहृदयों को आनन्द प्रदान करते हैं । )- ( वह है ) अन्य अर्थ की प्रतीति कराने वाले 'विरोध' एवं 'विभिन्न' शब्दों का प्रयोग ।
और इस प्रकार उपमेयों ( दिन तथा रात्रि ) का सहानवस्थान रूप ( अर्थात् साथ-साथ न रह सकने का) विरोध है, तथा स्वभाव का भेद रूप अर्थात् दोनों के स्वभाव विरुद्ध हैं ) विभिन्नता है। साथ ही उपमानों ( पति-पत्नी) का (भी) ईर्ष्या, कलह रूप विरोध एवं कोप के कारण अलगअलग निवास रूप विभिन्नता है। इसी प्रकार 'अतिमात्रम्' तथा 'अत्यर्थम्' ये दोनों विशेषण दोनों ही ( दिन एवं रात्रि तथा पति एवं पत्नी रूप ) पक्षों में अतिशय युक्तता का बोध कराने के कारण बहुत ही मनोहर हैं । ( अतः ) यहाँ पर कुछ क्लेश के द्वारा सम्पादित होने पर भी श्लेष की छाया, अनायास घटित हो जाने के कारण, रमणीय हो गई है।
यश्च कीदृशः-अम्लानप्रतिभोद्भिन्ननवशब्दार्थबन्धुरः । अम्लाना यासावदोषोपहता प्राक्तनाद्यतनसंस्कारपरिपाकप्रौढा प्रतिभा काचिदेव कविशक्तिः, तत उद्भिन्नो नूतनाङ्कुरन्यायेन स्वयमेव समुल्लसितो, न पुनः कदर्थनाकृष्टौ नवौ प्रत्यग्रौ तद्विदाह्रादकारित्वसामर्थ्ययुक्तौ शब्दार्थावभिधानाभिधेयौ ताभ्यां बन्धुरो हृदयहारी । अन्यच्च कीदृशः-अयत्नविहितस्वल्पमनोहारिविभूषणः । अयत्नेनाक्लेशेन विहितं कृतं यत् स्वल्पं मनाल्मानं मनोहारि हृदयाह्लादकं विभूषणमलंकरणं यत्र स तथोक्तः । 'स्वल्प' शब्दोऽत्र प्रकरणाद्यपेक्षः, न वाक्यमात्रपरः । उदाहरणं यथा
(इस प्रकार सुकुमार मार्ग की एक विशेषता का प्रतिपादन कर दूसरी विशेषता बताते हैं—) और जो ( सुकुमार मार्ग ) कैसा हैं अम्लान प्रतिभा से निष्पन्न शब्द एवं अर्थ के कारण हृदयावर्जक । अम्लान अर्थात् दोषों से उपहत न हुई जो यह पूर्वजन्म एवं वर्तमान जन्म के संस्कारों के परिपक्व हो जाने से प्रवृद्ध हुई प्रतिभा अर्थात् कोई ( अनिर्वचनीय अपूर्व ही) कवि की शक्ति, उस ( शक्ति) से उद्भिन्न अर्थात् नये अंखुए के समान स्वयं ही फूट पड़े ( समुल्लसित हुए ), न कि ( खींचातानी से ) कष्टपूर्वक ( कठिनता से ) आकृष्ट किए गए नवीन अर्थात् (मनोहर कल्पना से उद्भावित ) अपूर्व सहृदयों को आनन्दित करने में समर्थ (जो) शब्द और