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* तारण-वाणी *
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तत्पर्य यह है कि जब तक समाज में शास्त्रस्वाध्याय और शास्त्रमनन को प्रमुखता न दी जायगी तथा साहित्य प्रचार में पूर्णशक्ति न लगादी जायगी तब तक समाज की प्रवृत्ति में धार्मिकता या श्राध्यात्मिकता न आएगी कि जो समाजोन्नति का एवं धर्मोन्नति का मूल कारण है। इस मूर्तिवाद ने ही जैन समाज नामक एक घर के कितने टुकड़े कर दिये, यदि यह न हो तो आज सब एक हो सकते हैं। हाँ, यदि मूर्तिवाद जैनधर्म में सिद्धांततः होता तो यह भी कहा जा सकता था कि मूर्तिवादी बनकर सब एक हो जाएं। मैं तो कहूँगा कि एक समिति अच्छे धुरंधर १०-५ जैन विद्वानों की नियुक्त की जाय जो सप्रमाण यह निर्णय दे कि मूर्ति की मान्यतः सैद्धांतिक है या केवल भट्टारकों की देन है | समाज का यह प्रयास समाज को बहुत उपकारी होगा और धर्म के मूल कारण का यथार्थ वस्तुस्वरूप सामने आ जायगा ।
स्वाध्याय के अभाव में जीव कठोर परिणामी बन जाता है
अज्जवसप्पिणिभर हे पउरा रुद्दट्टझाणया दिट्ठा ।
ट्ठा दुट्टा कट्ठा पाविट्ठा किण्णणीलका ओदा ||५८ || ( रयणसार)
अर्थ - इस भरतक्षेत्र में अवसर्पिणी पंचम काल में दुर्ध्यानी रुद्रपरिणामी, कृष्णादि अशुभलेश्या के धारक, करवभाव वाले, न दुष्ट पापिष्ठ और कठार भावों को धारण करने वाले अधिक मनुष्य होते हैं। कार्य में कारण अवश्य होता है। इस पंचमकाल में ऐसे कठोर परिणामी व चतुर्थकाल में सरल परिणामी दयालु शुभलेश्या वाले जीव क्यों होते हैं ? चतुर्थकाल में श्रावकों को भगवान का तथा हजारों मुनियों के बिहार होते रहने से प्रतिदिन उपदेश मिलता रहता था, क्योंकि उपदेशश्रवण व शास्त्रस्त्राध्याय से परिणामों में दया, सरलता, धार्मिकता व संसार का स्वरूप जानने से उदासीनता बनी रहती है जबकि बिना उपदेश व शास्त्रस्वाध्याय किए बिना परिणामों में कठोरता, क्रूरता, पापिष्ठादि जितने दोष श्रो कुन्दकुन्द ने कहे वे सब रहते हैं
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इसी पर एक घटना का दृष्टांत है कि एक पिता, पुत्र थे, पिता पूजा करने वाले थे और अपने को बड़ा धर्मात्मा भो मानते थे । पुत्र की रुचि शास्त्रस्वाध्याय में लग गई थी जो वह स्वाध्याय के कारण आध्यात्मिकवृत्ति का कोमल परिणामी हो गया था । नाज की दुकान थी। एक दिन पिता पुत्र दोनों साथ में मन्दिर से दुकान पर आ रहे थे, पुत्र आगे था, पिता पीछे | दुकान पर गेहूँ की ढेरी में एक गाय गेहूँ खा रही थी, पुत्र ने सोचा कि धीरज से पहुँचकर गाय को हटा देंगे, पीछे पिता जो १०-२५ कदम पीछे था उसके हाथ में लकड़ी थी क्योंकि वृद्ध था, वह लड़के पर नाराज होता झट से लपक आगे बढ़ा और जोर से एक लकड़ी गाय को मार दी, यह देखकर