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देवभइसरिविरइओ कहारयणकोसो॥ सम्मत्तपडलयं ।
६ सम्यक्त्वाधिकारे नरवर्मनृपकथानकम् ॥
इंदियजई ३० अपिसुणो ३१ परोवयारी ३२ तहा विणयजुत्तो३३ | इय तेत्तीसमिमेसु नरवम्माई य दिटुंता॥१७॥
सामन्त्रगुणाणुगओ विसेसगुणधरणधीरयमुवेह । ते य इह विसेसगुणा जीववहविरमणाईया ॥१८॥ जीववह १ अलिय २ परदव ३ जुबइवजण ४ परिग्गहपमाणं ५। दिसिमाण ६ भोगउवभोग ७ऽणत्थदंडव्वयं ८ चेव ।।
सामाइय ९ देसंवगासियं च १० पोसहवयं ११ अतिहिदाणं १२ । वंदण १३ पडिकमणं १४ काउसंग्ग १५ संवरण १६ पवजा १७
॥ २० ॥ एए हि विसेसगुणा दिटुंता एसु जन्नदेवाई। अय-बइरेगेहिं जाहासंखेण नायबा
॥ २१ ॥ जह सोहर भूसुद्धीए चित्तकम्मं थिरं च होइ चिरं । सामन्त्रगुणाणुगए तह पुरिसम्मि विसेसगुणा ।। २२ ॥ उवलक्खणं च एए ऐयरूवाऽवरे वि विन्भेया । सामन्त्र-विसेसगुणा संखेवेणेह वुत्ता वि
॥ २३ ॥ सम्मत्तगुणेण य पाउणन्ति जीवा न निरय-तिरिएसु । उत्पत्तिमणंतरमवि जह णो द्धाउया पुषिं ॥ २४ ॥ नेव य अवड्डपोग्गलपरियट्टाओ वि अहियभवभमणं । उकोसओ वि संभव एत्थ ईसिं पि पुट्ठम्मि ॥ २५ ॥ जो पुण सम्मत्तमिमं चिरकालं कलितविमलगुणपसरो। फासइ नरवम्मो इव सो पावह परममुह निवह ॥ २६ ॥ नरवम्मो य नरबई जह सम्मत्तं पुरा समणुपत्तो । जाओ य परमकल्लाणभायणं तह निसामेह ॥२७॥
१-धीरताम् ।। २ देसाव प्रती ॥३'उस्सग्ग" प्रतौ ॥ ४'वाई प्रती ॥ ५ अन्वयव्यतिरेकाभ्याम् ॥ ६ भूशुद्धौ ।। ७ एवंरूपाः ॥ | ८ सामन्नगुणाण य प्रती पाठः ॥ ९ बद्धायु कर्माणः ॥ १० अपापुद्गलपरावति ॥ ११ समत्त प्रती ॥ १२ "लिभवियलगण प्रती ॥
सामान्यगुणानां माहात्म्यम् सम्यक्त्वम्
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॥ णमो स्थु णं समणस भगवओ महावीरस्स ॥
सिरिदेवभद्दसूरिविरइओ
कहारयणकोसो
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। पढमो धम्माहिगारिसामन्नगुणवण्णणाहिगारो।
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