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________________ योग शास्त्रम् ॥६॥ ५ ना रोज कलकत्तामां परमपावन भागवती प्रवज्या आपी अनुक्रमे तेमना मुनिश्री सिंहविजयजी मुनिश्री विद्याविजयजी मुनिश्री महेन्द्रविजयजी, मुनिश्री गुणविजयजी अने मुनिश्री न्यायविजयजी नाम राखवामां आव्यां. वि. सं १९५९ १९६० १९६१ आ. त्रण चातुर्मास अनुक्रमे महेसाणा, पाटण अने वीरमगाम आपणा चरित्रनायकनां थयां आ वर्ष दरमियान सं. १९५९मां थराना वतनी आलमचंदने पू. पं. श्री कमल विजयजी महाराजना वरद हस्ते दीक्षा अपावी तेमनुं नाम अमृतविजयजी राखी आपणा चरित्र नायकना प्रथम शिष्य बनाववामां आव्या. अने त्यारवाद वि. सं. १९६० मां टीकरना रहीश सुंदरभाइने दीक्षा आपी मुनिश्री चंद्रविजयजी नाम राखी बीजा शिष्य बनाववामां आव्या तदुपरांत श्री कल्पसूत्र अने महानिशीथना योग अने विशिष्ट शास्त्रग्रन्थोना अभ्यास कर्यो. आपणा चरित्र नायक मुनिश्री भक्तिविजयजी म० ने पू. पं. कमलविजयजी महाराजनी शितल छाया तथा उत्तरोत्तर अभ्यास योगोद्वहन अने शिष्योनी दीक्षा आ बधुं होवा छतां गुरुमहाराजनो विरह खुब साल्यो, तेमनुं मन पूज्य गुरुदेवनी शीतल छायामां जवा तत्पर थयुं. तेथी वि० सं० १९६१ नु चातुर्मास पूर्ण कर्या बाद कपडवंज, गोधरा, रतलाम, उज्जैन, मक्षी, झांसी, कानपुर विगेरे घणा घणा स्थळोनी यात्रा करी, बच्चे चातुर्मासनी विनंति होवा छतां वि० सं० १९६२ना वैशाख वदी १३ बनारस पधार्या अने वि० सं० १९६२ नुं चातुर्मास गुरुदेवनी छायामां कयुं. आ. भक्ति म. जीवन ॥६॥
SR No.009699
Book TitleYoga Shastram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhsuri, Ruchaksuri
PublisherDharmbhaktipremsubodh Granthamala Prakashan Samiti
Publication Year1972
Total Pages843
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size199 MB
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