________________
परिशिष्टम् [३] धर्मसंग्रहवृत्तिगतोद्धरणानामकाराद्यनुक्रमः ॥]
[८५१ सुबहुं पासत्थाणं, [उ.मा./५१०] ७०६ | सेवगभज्जा ओमे, सुमरित्ता भुवणनाहे [श्रा.दि./२९५] ४१५
[बृ.क.नि./६२८७] ६९७ सुरहिजलेणिगवीसं, [संघा.वृ./४९] २४३ | सेवाइ कारणेण य, [ध.र./४९] ८५ सुवण्णरूप्पस्स य [उत्त.९/४८] १२२ | | सेसा उ जहासत्ती, [प.व./४४६] ५९० सुव्वइ अ वइररिसिणा,
सेसा जहिच्छाए [ ]
२८७ [पञ्च./१२२७] २७० | सेसा पच्चक्खाणा, [ ] ३२६ सुस्सूस धम्मराओ, [प्र.सा./९२९] ७६ | सेसा विसोहिकोडी, [पिं.वि./५५] ५३२ सुस्सूसणा यऽणासायणा य,
सेहस्स तिन्नि भूमी, [पञ्च./६१६] ६५८ [द.वै.नि./४८वृ.] ७०१ | सो अट्ठमिचउद्दसीसु [ ] ३७० सुस्सूसाइ पयट्टइ, [हि.मा./२८४] ३५६ | सो उ गंधारसावओ [नि.सू.]
२३२ सुहझाणजलविसुद्धो, [प्र.सा./७२८] ७२१ सो उभयक्खयहेऊ, [ध.सं./२६] २१ सुहस्तिस्वामिनः शिष्यः,
सो उस्सग्गो दुविहो, [प.प./११/६८] ४२७
[आ.नि./१४५२] ३८७ सुहस्त्याचार्यपादाना- [प.प.११/६६] ४२७ सो किं गच्छो भन्नइ, [य.दि./१०२]७४९ सुहुमा पाहुडिआ वि अ,
सो गाहणाइकुसलो, [य.दि./१०१] ५०९ [पि.नि./३९५७.] ५३२ सो जिणदाससावओ [ ] ४११ सूइज्जइ अणुरागो, [ ]
७०७ | सो दुविअप्पो भणिओ, सूत्रोक्तस्यैकस्याप्य- [ ]
७५
[प्रव.सा./११८] ३०३ सूवोदणस्स भरिओ, [ओ.नि./७१४] ५७९ | सो पासत्थो दुविहो, [सं.प्र.गु./९] ३०३ सेंडुगं तिवरिसाइ, [बृ.क.भा.] १४० | सो पुण इह विण्णेओ, [पञ्चा.४/५] २२२ से अ संमत्ते पसत्थ- [आ.सू.६/३६] ५४ | सो होइ अभिगमरुई, [प्र.सा./९५६] ६५ से भयवं ! जया णं सीसे
सोगंधिए अ आसत्ते, [प्रव.७९४] ४७० [म.नि.१/१४] ७४४ | सोलस उग्गमदोसा, [सं.प्र./७७८] ५२८ से भयवं केरिसगुण
सोलसवासाईसु अ, [प.व./५८७] ४९० [म.नि/५/१५] ७३८ | | सोवण्णजिणवररहो, [श्रा.वि./१२व.] ४२९ से भयवं तित्थयर- [म.नि.४/१२] ४८८ | सोहिअ पत्ताबंधं, [य.दि./२५७] ५६१ से भिक्खू वा २ जाव
सोही खामण संमं, [ प्रा.सा./द्वा.१९] ७६१ [आचा.द्वि.१/५/२९सू.३५७] ७०९ | स्तोकान् गुणान् समाराध्य, सेअंबिआ य नगरी
[ध.बि.अ./३ प्रान्ते गा.१८] ४५७ [प्र.सू.१/१०२/११७] ४६५ | स्त्रीरम्याङ्गेक्षणस्वाङ्ग- [यो.शा.१/३१] ६७४ सेअवत्थनिअसणो [श्रा.दि./२४] २२६ | स्त्रीषण्ढपशुमद्वेश्मा- [यो.शा.१/३०] ६७३ सेज्जं ठाणं च जहिं,
स्थाने शमवतां शक्त्या, [ ] [आ.नि./६९५] ६५१ | स्थितः शीतांशुवज्जीव: सेडूकः कर्पासः [बृ.क.वृ.] १४०
[यो.दृ./१८३] २६८
नगरा
D:\d-p.pm5\3rd proof