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[धर्मसंग्रहः संकेअपच्चक्खाणं, [ दे.य.दि./५०] ३२६ | संफासं ति भणंतो, [बृ.वं.भा./१६] ३१७ संखो तिणिसाऽगुरु [सं.प्र.श्रा./५७] १२० | संभिन्नतालुशिरसश्छिन्न- [ ] ३८ संगहिअ छप्पयाओ, [य.दि./८५] ५०७ संभुजिओ सिअ त्ति अ, संघट्टइ पाएणं, [ ]
३१५
[प.व./५७९] ४९१ संघट्टइत्ता काएणं, [ द.वै.९/२/१८] ३१४ | संभोइ अण्णसंभोइआ य [ ] ३०९ संघाइआण कज्जे, [पञ्चानि./७] ७२० | संमज्जणोवलेवण, [श्रा.वि./१२वृ.] ४२२ संघाडीओ चउरो [प्र.सा./५३६उत्त.] ५७३ | संमत्तंमि अ लद्धे, [वि.भा./१२२२] ७२७ संजम बंभे कप्पे, [ ]
६११ संमत्तंमि उ लद्धे, [वि.भा./११२२] ६१ संजमे सुट्टिअप्पाणं, [द.वै.३/१] ५५५ संयमं सूनृतं शौचं, [यो.शा.४/९४] ६९१ संजोअणा पमाणे, [पञ्चा.१३/४८] ५५८ संयमा नियमाः सर्वे, [ ] संज्ञादिपरिहारेण, [यो.शा./१/४२] ६९४ | संवच्छरचाउम्मासिएसु, [उ.मा./२४१] ४२० संठिअंमि भवे लाभो,
संवच्छरचाउम्मासिएसु, [चे.म./८१९] ४३० [ओ.नि./६८७] ५४६ संवरणं कायव्वं, [श्रा.वि./१२वृ.] ४२३ संडासगे पमज्जिअ, [प्र.स./८] ३८५ संवाहणा दंतपहोअणा य, संतंमि वि परिणामे, [श्रा.प्र./१११] २९८
[द.वै./३/३] ४१४ संते बलवीरिअ-[म.नि./अ.१] ३७० | संविग्गो उ अमायी, [ पञ्चा.१५/१२] ४३२ संतेअरलद्धिजुए, [पञ्चा./५-४३] ३६३ | संविग्गोऽणुवएस, [पञ्चा.१२/१७] ६५० संथरणंमि असुद्धं, [य.दि./२२५] ५५० | संवेगपरं चित्तं, [पञ्चा.१५/३५] ४३९ संथारगगहणाए, [ओ.नि./२०३] ६३८ | संवेगो चिय उवसम, [प्र.सा.९३६] ७७ संथारगभूमितिअं, [ओ.नि./२०२] ६३८ | संसट्ठमसंसट्ठा, [प्र.सा./७६९] संथारणंमि असुद्धं, [श्रा.दि./१७५] ३६२ संसत्तग्गहणी पुण, संथारुत्तरपट्टो, [प्र.सा./५१३]
[ओ.नि.भा./१८५] ५६५ संदंसं रयहरणं, [बृ.वं.भा./९] ३१६ | संसारदुःखसंहर्ता, [ ]
४१५ संदिसह भणति गुरुं, [प.व./२८८] ५१९ | | संसारदुक्खमहणो, [नि.सू.]
२९ संनिहिअं भावगुरुं,
संसारबीजभूतानां, [यो.शा.४/८६] ६८५ [चे.म.भा./३६५] २५७ | संसारे दुःखदावाग्निसंपइ सामायारी, [ य.दि./१७४] ५१९
[यो.शा.४/६४] ६८२ संपत्तदंसणाई, [सं.प्र.५/१,श्रा.प्र.२] २१४ | स आत्यन्तिको [ध.बि./१३३] ४९ संपत्तदंसणाई, [सं.प्र./९६१] ५२ | स कर्मपुद्गलादानच्छेदः । संपत्तो जिणभवणे, [प.च.] २४९
[यो.शा.४/८०] ६८४ संपय पयप्पमाणा, [ ] | स खलु पिशाचकी [ ]
३२ संपातिमरयरेणू- [ओ.नि./७१२] ५७८ | स जिणो जिणाइसयओ, संपाविऊण परमे, [पञ्च./१३४९] ७३७
1 [वि.भा./३२१९] २५८ संपुडगो दुगमाई, [प्र.सा./६६७] ५८४ | सइ सामत्थि उवाणह [सं.प्र./२५४] २९०
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