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[धर्मसंग्रहः दव्वाइआण गहणं, [पञ्च./६६१] ६९७ | दिक्खाविहाणमेयं, [पञ्चा.२/४४] ४७५ दव्वाईसु सुहेसुं, [पञ्चा.१५/१९] ४३८ | दिट्ठमदिटुं च तहा, [आ.नि./१२२४] ३०५ दव्वे खीरदुमाई, [पञ्चा.१५/२०] ४३८ | दिट्ठिपडिलेह एगा, [गुरु./४] ३०० दव्वे भावे अ तहा, [पञ्चा.७/१०] ४४२ | दिवसे दिवसे लक्खं, दव्वे भावे वंदण [ ]
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__ [सं.प्र.श्रा./११३] १५३ दव्वे सुवण्णगाइसु , [ ] ४३८ दिव्यमानुषतैरश्चादशशूनासमं चक्रम् [म.स्मृ.४/८५] १९६
[यो.शा.३/१५३वृ.] ७२४ दष्टोऽपि दंशैर्मशकैः,
दिव्यौदारिककामानां, [यो.शा.१/२३] ११८ [यो.शा.३/१५३व.] ७२५ | दिव्यौदारिककामानां, दस इक्को अ कमेणं,
_ [यो.शा./१/२३] ६७१ [प.व./४०५] ५६५ | दिव्विड्कुिसुमसेहर, [वि.ह.चू.] २५१ दस ता अणुवटुंती [प्र.सा./७५८] ७२४ दिसिदेवयाण पूआ, [पञ्चा.८/१८] ४४८ दस पणयाल [प.व./४०४] ५६५ | दिसिपवणगामसूरिअदसकप्पववहारा, [प.व./५८३] ४९०
[ओ.नि./३१६] ५६५ दसवरिससहस्साऊं, [प.च.] ३४० | दिसिवयगहिअस्स [प्र.आ.सू.१०] १५४ दसवासस्स विवाहा, [प.व./५८४] ४९० | दीपो यथा निवृत्ति- [सौ.न.१६/२८] ८२ दसविहे सरागसम्मत्त-[स्था/७५१] ६७ | दीवो धुवुक्खवो [ ]
२३७ दसहि ठाणेहिं जीवा [ स्था.सू.] ४८९ | दीहो वा हस्सो वा [प्र.सा./६६८] ५८५ दहिए विगयगयाइं, [प्र.सा./२२८] ३३७ दुःखपरम्परानिवेदनमिति [ध.बि./८४] ३८ दह्यमानागरूत्थाभि- [प.प.११/७५] ४२८ | दुःखनादिकथनम् [ध.बि./४-२७] ४७६ दाऊण खमासमणं, [य.दि./८०] ४९८ दुःखितेषु दयाऽत्यन्तम्, [यो.दृ./२९] २३ दाऊण गेहं तु [प्र.सा./८०४] ५४१ | दुओणयं अहाजायं, [आ.नि./१२०२]३०० दाऊण बितिअकप्पं, [ओ.नि./५८६] ५५९ दुगुणो चउग्गुणो वा, [ओ.नि./७२१]५७९ दाऊण वंदणं तो [प्र.स./१६] ३८५ दुग्गंधो पूइमुहो, [सं.प्र.श्रा./२४] ११६ दाणं तवोवहाणं, [पञ्चा.९-५] ४२६ दुट्ठपसुसाणसावय- [ओ.नि./७३९] ५८५ दाणाइ जहासत्ती, [ध.र./५८] ८६ दुन्नि अ दिवड्डखेत्ते, दाणांतरायदोसा, [न.प्र./१२७] २०६
[प्रा.सा.द्वा./२०] ७६३ दाणे अभिगमसड्डे,
दुन्नि अ हंति चरित्ते [ ]
३७७ [बृ.क.भा./१४८९] ७१६ दुन्नि पडिलेहणाओ, [ ] ५०७ दाण्डक्यो नाम [कौ.अ. १/६] ११ दुब्भिगन्धपरिमलस्सावी, दारुमयं लाउमयं, [ य.दि./२०५] ५४६
[व्य.भा./३७७४] ३४७ दार्वपि च शुद्धमिह [ षोड.६/८] ४४३ | दुर्गा तावदियं समुद्र- [ ] दालिदं दोहग्गं, [ ]
४४६ | दुर्धावसङ्गपङ्का हि, दासे दुढे अ मूढे अ, [प्र.सा./७९१] ४६७
[यो.शा.३/१५३वृ.] ७२५
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