________________
३४
(१३)
प्राचीन जैन लेखसंग्रह |
विजाधरु लेखिले
वरानि सिहरानि निवेशयति सतवसदानपरि हारेन अभूतमकरिये व हथी नादानपरिहारं
+
अक्षरने बदले K मां अ छे, पण ० मां म छे. एम होइ शके के नीचेनी आडी लीटी, ए शिलामां फाट होय त्यारे अ जोइए अने तेथी नंदराजनितस अगजिनस पाठ थाय; जो म गणीए तो नंदराजनितसमगजिनस पाठ थाय. त्यार पछीना १८ अक्षरो जता रह्या छे. केटलाक अस्पष्ट तथा झांखा छे. जे जमीन उपर ते कोतर्या छे ते खरबडी छे, K अने c मां घणो फेर पड़े छे, मारा पाठो पण शंकास्पद छे.
१. अक्षरो जरा झांखा छे. C मां तुजिपर छे जे खोटुं छे. व नो नीचेनो भाग जरा जीर्ण थयो छे तेथी तेमणे तु गण्यो छे. K नो पाठ जरा सारो छे पण तेमां केटलीक भूलो छे.
२. अहींआ केटली खाली जग्या छे अने हुं धारुं छु के त्यांथी एके अक्षर गयो नथी.
२. ० मां निवइयति छे तथा K मां निवेनेयति छे. हुं धारुं छं के निवेसयति जो के झांखुं छे पण स्पष्ट छे.
४. C मां थरिहारेन छे. K मां खरुं छे.
९. मां अस्तिमसारियंच अने K मां असुमसरियंच छे. मूळमां अभ्रुतमकरियंच स्पष्ट छे,
६. हथी नी पछीना त्रण अक्षरो भांगी गया छे अने नंदान जेवा देखाय छे. परिहारं नी पछीना तेर अक्षरो तद्दन नष्ट थया छे. कदाच तेमांना पहेला चार कारयति होई शके.
"Aho Shrut Gyanam"