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प्राचीन जैनलेखसंग्रह
पुवराजनिवेसितं पाथुडं गर्दभनगले' नकासयति जनपदभावनं च तेरस वससताक 'देहसंघातं बारसमं चॅ व[सं]
दतामर
इस
हि वितासयंतो उतरापथराजानो
१. ११ मी थी १७ मी लीटी सुधीनो शरुआतनो भाग जतो रह्यो छे अने दरेकमां लगभग १० - १० अक्षरो जता रह्या छे.
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२. K अने C बन्नेमां पिधुडं छे. पण मूळ लेखमां पाथुडं स्पष्ट छे. गदंभनगले ने बदले c मां गदंअनधेधो छे. K नुं खरुं छे. ३. ० मां नकासयंत छे तथा K मां नकासयत छे. पण छेल्ला अक्षरनी उपर आछो इकार होय तेम मने लागे छे.
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४. लेखमां आपेला अक्षरो दसितामरदेहसंघातं शंकास्पद छे. अने जो ते काळजीपूर्वक वांचवामां आवे तो कांइक वधारे सारो पाठ नीकळी शके.
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१. ० मां च ने बदले ड छे. ९. दिविता
• नो. विवासयंतो ना ता अने स नी उपर एक नानी फाट छे जेने K अने O ए इकार गण्यो छे. उतरा ना रा ने बदले ० ए ओ लोघो छे जे खोढुं छे. पध ने बदले तेणे पय लोधी छे जे स्पष्ट
भूल
छे. राजानो ना जा मां मूकी दीधो छे अने जगण्यो छे.
"Aho Shrut Gyanam"
कारण के मूळ लेखमां ध आकार स्पष्ट छे तो पण ० ए ते