SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राकृत लेखविभाग | 6 उदयगिरिनी गुहाओनां कोतरकामोमां एवं कांइ खास नथी के जेथी आपणे नक्की करी शकीए के ए जैन अगर बौद्ध गुहाओ छे. गुहाओमां एके जुनी प्रतिमा नथी. कोतरकामोनी पूजनीय वस्तुओमां मात्र वृक्षो छे तथा माणेकपुर गुहामाना नीचेना भागमां जे भांगेला स्तूप ' जेवुं लागे छे तेनी आगळ नमस्कार करती माणसोनी अकृतिओ छे. वळी आ गुहाओनी टेकरीनी टोचे एक जुना ' स्तूप ' नो पायो छे अने आ स्तूपनी आजुबाजुना कठेराना सळीआनां छिद्रो हजु पण जोवामां आवे छे. परंतु आ उपरथीन मात्र आपणा प्रश्ननो जवाब नीकळी शके नहि; कारण के शरुआतनो जैनधर्म बौद्धधर्म जेबोज हतो जेथी वृक्ष तथा स्तूपोनी पूजा तेमनामां भिन्न नथी; ज्यां ज्यां महावीर गया ते ते गामना पादरना झाड तळे बेठेला महावीरनां वर्णनो केटांक सूत्रोमा छे. बौद्धोनी पेठे जैनतीर्थंकरोने पोतपोतानुं बोधिवृक्ष छे. महावीरनुं बोधिवृक्ष वड छे अने उदयगिरिनी जयविजय गुहामां कोतरेलुं बोधिवृक्ष पण वड छे. ' हाल पण जैनो शत्रुंजय टेकरी उपर रायण वृक्षनी पूजा करे छे, ( मिमुसोप्स कौकी ( Mimusops kauki; ) संस्कृत - राजातन अगर राजादन, पाली - राजायतन ) जे ऋषभदेवनुं बोधिद्रुम छे अने गिरनार उपर बाबीसमा तीर्थंकर नेमिनाथनुं बोधिद्रुम आंबो छे के जेनी पण तेओ पूजा करे छे. स्तूप - पूजा पहेलांना जैनोमां पण प्रचलित हती. मथुरामांथी मने मळेला एक लेखवाळा कोतरकामनी बच्चे एक स्तूप छे. तेनी आजुबाजुए कठेरो छे. तेने एक द्वार छे अने स्तूप उपरज कोतरेली वे कठेरानी हारो छे; एक मध्यमां गोळ तथा बीजी जरा उंचे छे. स्तूपनी बन्ने १ अॅन्टीक्वीटीझ ऑफ ओरीस्सा पु. २, प्लेट १९, आकृति १. लेखक, डाक्टर राजेन्द्रलाल मित्र. 2 "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009685
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1917
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy