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कामोमां थाय छे. तेथी करीने केटलीक गुहाओ मात्र 'कुतरानी बोड' करतां बहु म्होटी नथी."
जैन गुफाओ. “ केटलीक गुहाओमां अने खास करीने जैन गुफा, नवमुनि गुफा, विगेरेमा जैन असर स्पष्ट जणाय छे. भीतो उपर तीर्थंकरोनी आकृतिओ उपसेली काढवामां आवी छे. डॉक्टर राजेन्द्रलाल मीत्रे तेमने भूलथी बुद्धनी छे एम कडं छे. सर्व गुहाओमां मळीने जैनतीर्थकरोनी नम मूर्तिओ बुद्धनी आकृतिओ करतां घणी वधारे छे. हा गुफा जेवी प्रख्यात गुफाना लेखमां पण जैन असर स्पष्ट जणाइ आवे छे. ए लेखमां जेने डॉक्टर राजेन्द्रलाल बौद्ध स्वस्तिक कहे छे ते खरी रीते जैन स्वस्तिक छे. वळी आरंभमां नमस्कार पण जैन रीति मुजब छे. आथी आपणे निर्णय उपर आवी शकीए के उदयगिरि अने खंडगिरिनी गुहाओमां जैन तथा बौद्ध बने असर व्यक्त थाय छे. केटलीक वखत बौद्ध तथा जैननो भेळसेळ थयेलो होय छे. बनारसमां सारनाथ आगळ एक जैन देवालय छे. बुद्ध गयामां पण एक जैन देवालय आवेलुं छे.
खंडगिरिनी गुहाओमांनी शतघर अगर शतवक्र, नवमुनि अने अनन्त गुहाओ जरुरनी छे. आमांनी पहेली बेमां जैन असर व्यक्त छे अने बाकीनीमा बौद्धोनी असर छे. शतवक गुहाने एक ओटलो हतो, जेना उपर स्तंभो हता. तेनी अंदर सात न्हाना स्तंभो हता जे हाल जता रह्या छे. तेमां बे गुहाओ छे जेनी वचमा एक पातळी भीतनो
आंतरो छे. तेमनां नाम, त्रिशूल अने बारभुजा गुहाओ छे. शतघर गुहामां दक्षिणना भागनी परसाळनी दिवालो उपर लांछनो साथे जैनतीर्थकरोनी आकृतिओ कोतरेली छे. परसालना डाबा खुणाथी शरु करीने तीर्थकरोनी आकृतिओनं वर्णन नीचे आपं छं.
"Aho Shrut Gyanam"