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________________ प्राकृतलेखविभाग। अनुपूर्ति. डॉ. भगवानलाल इंद्रजीए संशोधित करेला खारवेल राजाना ए लेख उपर, गुर्जरसाक्षर श्रीयु त केशवलाल हर्षदराय ध्रुवे, महाकवि भास रचित ' स्वप्नवासवदत्त ' नाटकना ' साचूं स्वप्न ' ना नामे पोते करेला गुर्जरानुवादनी प्रस्तावनामा केटलोक नवीन प्रकाश पायो छ अने श्रीभगवानलाल द्वारा थएला ए 'सुवाच्य' लेखने एमणे ' सुप्राध' करवानो प्रशंसनीय परिश्रम उठाव्यो छे. श्रीभगवानलालना निवन्धन हार्द समजवा माटे श्रीकेशवलालन ए विवेचन अवश्य अवलोकनीय होवाथी अने अतएव आ संग्रहमा खास संग्रहणीय होवाथी, आ अनुपूर्ति रूपे ' साचूं स्वम ' नी प्रस्तावनामाथी खारवेल संबंधी समग्र प्रकरण अत्र आपq उचित धायुं छे. खारवेलना संबंधमां श्रीयुत सुवर्नु कथन आ प्रमाणे छे: " इ. स. पूर्वे १६५ मां कलिंगना राजा महामेघवाहन खारवेले मगध उपर स्वारी करी. हाल जेने ओढिया प्रांत कहे छे ते प्राचीन १ माहामेघवाहन ए इसवीसन पूर्वेना कलिंगराजाओयूँ बिरुद हतूं. मेघवाहन इंद्रनो पर्याय छे, जुओ अमरकोश. आधी महामेघवाहन अने महेंद्र एक अर्थना शब्दो थया. कलिंगमां आवेला पूर्व घाटना भागनूं नाम महेंद्र छे. एनी कुलपर्वतमा गणना छे. महेंद्र किंवा महामेघवाहनना धणी ते माहामेघवाहन, एवा कंहक संकेतथी आ बिरुद उत्पन्न थy जणाय छे. प्राकृतमा वृद्धि न करवायी महामेघवाहन रूप रूढ थy. खारवेलने लगती हकीकत उदयगिरिनी "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009685
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1917
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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