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________________ I to ] मन्दिरमें रखी हुई हैं। इस समय यहां मूलनायक श्रीसुपार्श्वनाथजीकी प्रतिमा है, पता नहीं यह परिवर्तन कब हुआ। कालू यह गांव लूणकरणसरसे १२ मीलकी दूरी पर है बस व ऊठों पर जाया जा सकता है। यहां पर ओसवालोंके ११० घर हैं । जैन मन्दिर और उपाश्रय भी है। श्रीचन्द्रप्रभुजीका मन्दिर इस मन्दिरका निर्माण काल अज्ञात है श्रीजिनदत्तसूरिजी और श्री जिनकुशलसूरिजीके चरण सं०१८६५ वैशाख बदि ७ को यहां पर श्री जिनहर्षसूरि प्रतिष्ठित हैं। गारबदेसरकी मूर्तियां भी एक चौबीसीको छोड़ कर यहां मंगवाई हुई हैं। गारबदेसर ये गांव कालूसे कुछ मील है। ओसवालोंके घर अब नहीं है इससे यहांके मन्दिरको मूर्तियां कालूके मन्दिरमें ले आए। एक चतुर्विशति पट्टक प्रतिमाकी पूजा वहाँके श्रीमुरलीधरजीके मन्दिरमें होती है। महाजन यह भी भटिण्डा लाइन रेलवेका स्टेशन है। बीकानेरसे ७४ मील है गांवमें श्रीचन्द्रप्रभुजी का मन्दिर है। ओसवालोंके घर नहीं है। मन्दिर और उससे संलग्न जैन धर्मशाला है। श्रीचन्द्रप्रभुजीका मंदिर-शिलापट्टके लेखानुसार उदयरंगजीके उपदेशसे श्री संघने सं० १८८१ मिती फागुन बदि २ शनिवारको बनवाकर इस मंदिरकी प्रतिष्ठा करवाई । मूलनायक जी पर कोई लेख नहीं है। दादा श्री जिनकुशलसूरिजीके चरणों पर १७७२ वैशाख सुदि ७ को महाजन संघके बनवाने और श्रीललितकीर्तिजीके प्रतिष्ठा करनेका उल्लेख है। सुरतगढ़ यह भी भटिण्डा लाइनको स्टेशन है। और बीकानेर से ११३ मोल है यहां भोसवालोंके २०-२२ घर हैं। __ श्री पार्श्वनाथजीका मन्दिर मूलनायकजीकी प्रतिमा सं० १६१५ मिती माघ शुक्ला २ को श्रीजिनसौभाग्यसूरिजी द्वारा प्रतिष्ठित है। इस मंदिरको सं० १६१६ वैशाख बदि ७ को अष्टान्हिका महोत्सव पूर्वक श्रीजिनहंससूरिजीने प्रतिष्ठित किया ऐसा खरतरगच्छ पट्टावलीमें लिखा है। मन्दिर में लकड़ीकी पटड़ी पर जो लेख है उसमें वैशाख सुदि तिथि लिखी है जो विशेष ठीक मालूम होती है । "Aho Shrut.Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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