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________________ रघुपत्ति { २३ रचनाकाल ग्रंथका नाम रचयिता सं० १८०३ माघ सुदि १५ जैनसार बावनी रघुपत्ति (ख) (१०) गारबदेसर सं० १८०६ विजयादशमी केशी चौपाई अमरविजय (११) रायसर सं० १७७० अरहन्ना सज्झाय अमरविजय सं० १७७५ मुंछ माखण कथा सं० १८०३ धनतेरस धर्मदत्त चौपाई अमरविजय (१२) केसरदेसर सं० १८०३ प्रथम दिवस नन्दिषेण चौपाई रघुपत्ति (१३) तोलियासर सं० १८२५ फाल्गुन सुभद्रा चौपाई सं० १८२५ ऋषि पंचमी प्रस्ताविक छप्पय बावनी रघुपत्ति (१४) देशनोक सं० १८६१ माघ सुदि ५ सुविधि प्रतिष्ठा स्तवन क्षमाकल्याण सं० १८८३ खंदक चौढालिया उदयरत्न (१५) देसलसर सं० १८०८ लगभग ४२ दोषगर्भित स्तवन रघुपत्ति (१६) विगयपुर (विगा) सं० १६७६ प्र० आश्विन सुदि १३ गुणावली चौपाई ज्ञानमेरू (१७) बापड़ाऊ ( बापेऊ) सं० १६५० लगभग विजयतिलककृत आदि स्त०बालावबोध गुणविनयर, (१८) रतनगढ़ सं० १९६५ तेरापन्थी नाटक यति प्रेमचन्द , (१६) राजलदेसर सं० १६२२ भादव सुदि ५ सोलहस्वप्न सज्झाय गा०२०हर्षप्रभ शिव्हीरकलश, (२०) सेरूणा सं० १६४७ वैराग्यशतक वृत्ति' पत्र २२ गुणविनय सं० १६५७ विचार रत्न संग्रह हुंडिका गुणविनय " (२१) पूगल सं० १७०७ दुर्जन दमन चौपाई झानहर्ष १-प्रोहितोंके राज्यमें दीपचन्दके आग्रह से २-ज्ञाननन्दनके आग्रह से ३ संधके आग्रह से ४ - कविके स्वयं लिखित बीकानेर ज्ञानभण्डारकी प्रतिमें :- सेरुन्नक नाम्निवर नगरे" "Aho Shrut Gyanam'
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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