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________________ ३७२ बीकानेर जैन लेख संग्रह १६ सहसमल पुत्र मांडण । पुत्र घेता पीमा। सं० नाल्हा पुत्र सं० सीहमल्ल पुत्र पीथा सं० नरदेव पुत्र मोकला१७ दि सहितेन । सं० चाहड़ेन प्रतिष्ठा कारिता सपरिकरण श्री पद्मानन्दसूरि तत्पट्टे भ० श्री नंदिवर्द्धनसूरीश्वरेभ्यः । (२६०३ ) ॐ सं० १२२९ श्री. देव्या सुसाणेवि चैत्ये संप्राप्ती सेहलाकोट आगती भोइलाहिणि जावजीव देवि आराहितः । जूमारादि के लेख ( २६०४) नाइटों की बगीची के सामने ॥ ॥ अबीरचंद जी मुकीम श्री भोमिया जी हुवा संवत् १७४७ चोकी पंचायती जणायत बोथरा मुकीमा री श्री बीकानेर । ( २६०५ ) सुराणों की बगीची में ___संवत् १८०४ वर्षे मिती वैशाख सुदि ११ वार अदीत वैद गोत्रे.....दास जी...जूझार ऊपर देवल... ( २६०६ ) श्री उरजन जी कोचर की चौकी पर ॥श्री ॐ श्री ॥ इस चोतरे की चरणपादुका पूज श्री ५ दादाजी मु। जी श्री उरजन जी कोचर की है। कि जो सं० १६८४ में देवलोक हुए। इस चौतरे का आखिरी जीर्णोद्धार सं० १९९६ मिती दु० श्रावण सुदि ७ वार सोमवार को कोचरा की पंचायती से कराया गया ॥ श्री ॥ ॥ श्री॥ (२६०७ ) उरजन जी के चरणों पर श्री ॥ ॥ श्री ॥ चरणपादुका दादाजी मुं। जी श्रीउरजनजी कोचर । (२६०८) ढढों की साल में मूर्ति पर संवत् १८४० वर्षे मिती कार्तिक सुदी पंचम्यां तिथौ। मंगलवासरे। श्री बीकानेर नगरे। बुहरा -गोत्रे। साह श्रीतिलोकसीजी तद्भार्या शीलालंकारधारिणी। पतिव्रता श्री तनसुखदेजी ब्रह्मदेवलोकमगमत् । तया पृष्टे पुत्र पदमसीजी। धरमसी। अमरसी। टीकमसी। केन इदं शालारत्नं कारापितम् त पृष्टे श्रीसंघ समक्षेन सहिरसारिणी कृता । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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