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________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह ३७१ श्री सुसाणी माताजी का मन्दिर, मोरखोणा (२६०२) शिलापट्ट पर १॥॥ श्री सुसाणं कुलदेव्यै नमः ॥ मूलाधार निरोध बुद्ध फणिनी कंदादि मंदानिले (5) नाक्रम्य ग्रहराज मंड२ लधिया प्राग्पश्चिमांतं गता। तत्राप्युज्वल चंद्रमंडल गलत्पीयूष पानोल्लसत् कैवल्यानुभन्या सदास्तु जगदानं३ दाय योगेश्वरी ॥१॥ या देवेन्द्र नरेद्र वैदित पदा या भद्रता दायिनी। या देवी किल कल्पवृक्ष समतां नृणां दधा४ . लौ । या रूपं सुर चित्तहार नितरां देहेस या विभ्रती। सा सूराणा स वंश सौख्य __ जननी भूयात्प्रवृद्धिंक५ री ॥२॥ तंत्रैः किं किल किं सुमंत्र जपनैः किं भेषजैर्वा वरैः। किं देवेन्द्र नरेन्द्र सेवनय किं साधुभिः किं धनः। ए६ काया भुवि सर्व कारणमयी ज्ञात्वेति भी ईश्वरी। तस्याध्यायत पाद पंकज युगं तद्धथान लीनाशयाः ॥ ॥ श्री भूरिर्द्धम७ सूरी रसमय समयांभोनिधे पारदृश्वा। विश्वेषां शश्वदाशा सुरतरू सदृश स्त्याजित प्राणि हिंसां। सम्यग्दृष्टि....... ८ मनणु गुणगणां गोत्रदेवीं गरिष्ठां । कृत्वा सूराण वंशे जिनमत निरतां यां च कारात्म शक्त्या ॥४॥ तद् यात्रां महता महेन९ विधिवहिलो विधावाखिले निर्गे मार्गण चातक पृणे गुणः सभारटक छटः। जातः क्षेत्र फले अहिर्मरुधरा धारा१० धरः ख्यातिमान् संघेशः शिवराज इत्ययमहो चित्रं न गर्जिध्वजः ॥५॥ तत्पुत्रः सचरित्रे वचन रचनया भूमिराजः। ११ समाजालंकारः स्फार सारो विहित निजहितो हेमराजो महौजाः। चंग प्रोत्तुंग शृङ्ग भुवि भवन मिदं देवयानो प१२ मानं। गोत्राधिष्टात देव्याः प्रसृमर किरणं कारयामास भक्त्या ॥६॥ संवत् १५७३ ___ वर्षे ज्येष्ठ मासे सित पक्षे पूर्णिमा - १३ स्यां शुक्रेऽनुराधायां पीमकर्णे श्री सूरणि वैशे सं० गोसल तत्पुत्र सं० शिवराज तत्पुत्र सं० हेमराज सार्या सं० हेमश्री १४ पुत्र सं० धजा सं० काजा सं० नाहा सं० नरदेव सं० पूजा भार्या प्रतापदे पुन सं० चाहड़ भा० पाटमदे पुत्र सं० रणधीर । १५ सं० नाथू सं० देवा सं० रणधीर पुत्र देवीदास सं० काजा भार्या कउतिगदे पुत्र सं० सहमहल सं० रणमले। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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