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बीकानेर जैन लेख संग्रह
उपाश्रयों के शिलालेख बड़ा उपाश्रय ( रांगड़ी का चौक )
( २५४२) उदय हुवै विदु भान इल मेरु मही ध्रम धाम । तां लग ध्रमशाला रतन अचल रहौ अभिराम ॥१॥ खरतराचार्य ग० उपाश्रय ( नाहटों की गुवाड़ )
( २५४३ ) स्वस्ति श्री संवत् १८४५ वर्षे शाके १७१० प्रवर्त्तमाने मासोत्तम मासे भाद्रवमासे कृष्ण पक्षे जन्माष्टमी तिथी रविवासरे महाराजाधिराज महाराजा श्री १०८ श्री सूरतसिंहजी विजयराज्ये भट्टारक श्री १०८ श्री जिनचंद्रसूरिजी विजयराज्ये उपाध्यायजी श्री ५ श्रीजसवन्तजी गणि वा० पद्मसोम पं० मल्लूकचन्द्र मुपदेशात् श्री बीकानेरी वृहत्खरतराचार्य गच्छीय समस्त श्रीसंघेन पौषधशाला कारापितं कृत्वा च उस्ता असमान विरामेन । श्रीरस्तुः । सीपानियों का उपाश्रय ( सिंघीयों का चौक )
( २५४४) सं० १८४६ वर्षे मिती माघ सित पूर्णिमा तिथौ २५ पं० श्री १०८ श्रीजसवन्तविजयजी तत सुशिष्य पंडित ऋद्धिविजय गणि उपदेशात् समस्त सीपानी संघेन उपाश्रय कारापितं ठाणे ११ चौमासा रह्या सवाई शुभकरण सूत्रधारेण कृतं ॥ लुका गच्छ का उपाश्रय ( सुराणों की गुवाड़)
( २५४५ ) १ स्वस्ति श्री ऋद्धिवृद्धिर्जयो मांगल्योभ्युदयः चास्तु ॥ सं० १८९५ शाके १७६० प्रवर्त्तमाने मासोत्तममासे फाल्गुन मासे शुक्ल पक्षे अष्टम्यां गुरुवारे स्वाति नक्षत्रे गंड योगे श्री मन्नृपति शिरोमणि महाराजाधिराज श्री १०८ श्री रत्नसिंह जी विजय राज्ये ॥ श्रीमद् वृहद् नागोरी लुका गच्छे पूज्याचार्य शिरोमणि पूज्याचार्य जी श्री १०८ श्रीलक्ष्मीचन्द्रजित्सूरिभिः महर्षि मानमलजी महर्षि भागचन्दजी महर्षि टीकमचन्दजी प्रमुख ठाणे १९ श्रीसंघ सहितेन पौषधशाला कारिता दरकाणा कासवकेन कृतः साचचिरं तिष्टतु । श्रीरस्तुः ।।
"Aho Shrut Gyanam"