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________________ viVAVwwwwww- बीकानेर जैन लेख संग्रह कारापितं प्रतिष्ठितं तपा गच्छे भ० श्रीविजयदेवसूरिपट्टे आ० श्री विजयसिंहसूरि भ । श्री विजयप्रभसूरि पट्टे संविज्ञ पक्षीय भ० श्री ज्ञानविमलसूरिभिः । (२३१९) श्री धर्मनाथ जी सं० १६२६ २० फा० सु०८ श्री धरमनाथ बा टीद। (२३२०) ताम्र का ह्रींकारयंत्र सारंगाणी उदमल्लजी धारकस्य बंछित प्रदो भव । चरण पादुकाओं के लेख । (२३२१ ) पादुका युग्म पर ॥६०॥ सं० । १९७२ ( ? ) का मि फाल्गुनसित पक्षे २ द्वितीयायां तिथौ शुक्रवासरे झझू वास्तव्य समस्त श्री संघस्य श्रेयार्थ श्री उ । सुमतिशेखर गणिभिः प्रतिष्ठितं ।। दादाजी श्री जिनदत्तसूरि जी * दादा जी श्री जिनकुशलसूरि जी । ( २३२२) चरणों पर ॥ सं० १९०४ मि० फा० सु० २ पं०। प्र० श्री १०८ श्री सदारंग जी मुनिचरण पादुका कारापितम् । श्री नेमिनाथ जी का मन्दिर ( सेठियों का कास) पाषाण प्रतिमाओं के लेख ( २३२३ ) श्री नेमिनाथ जी ॥सं० १९१० मी मिगसर यदि ५ प्रतिष्ठितं गुरुवसर.. भट्टा श्री जिनहेमसूरिभिः श्री वृहत्खरतर आचारज गच्छे नेमिनाथ जिन बिंब ॥ ( २३२४ ) श्री चन्द्रप्रभु जी ।सं १५५४ मा० सु० ५ ओ०म० गो० बि० पा० श्री चंद्रप्रभ वि०प्र० श्री धर्मघोष गच्छे भ० श्री पुण्यर्दन (वर्द्धन ? ) सूरिभिः ।। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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