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________________ गंगाशहर श्री आदिनाथजी का मन्दिर पाषाण प्रतिमा लेखाः ( २१७६ ) सं० १६०६ वर्षे माघ कृष्णा ....... (२१७७) संवत् १६०५ मि । वैशाख सुदि १५ बाफणा हिन्दूमलजी सपरिवारेण श्रेयांसनाथ घिर कारिता प्रतिष्टितंश्च । ( २१७८ ) सं० १९३१ व । मि । वै। सु ! ११ ति । श्री .. .... (२१७६ ) दादा साहब के चरणों पर श्री गंगाशहर के मन्दिरजी में श्रीऋषभदेवजी महाराज की प्रतिमाजी व दादाजीरा पगलिया चक्रेश्वरीजी सैंसकरणजी सावणसुखा पधराया सं० १६७० जेठ बदि ८ धातु की पंचतीर्थी का लेख । ( २१८०) सं० १५७८ वर्ष माघ बदि ८ रवौ डाभिलावासि प्राग्वा० ज्ञा० मं० सोमा भा० हीरू सुत मं० वच्छाकेन भा० वल्हादे सुत लहू आदि कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसंभवनाथ बिंबं कारितं प्रतिक तपागच्छे श्रीहेमविमलसूरिभिः ।। श्री पार्श्वनाथ जी का मन्दिर ( रामनिवास) ( २१८१ ) मूलनायक श्री पार्श्वनाथ जी ___ सं० १९०५ मि ! घशाख सुदि १५ श्रीसंघेन श्रीपार्श्वनाथ बिबं कारि प्रतिष्ठापितं च श्री खरतर गणाधीश्वर जंगम युगप्रधान भट्टारक श्री जिनसौभाग्यसूरिभिः । (२१८२) . संभवनाथादि धातुपंचतीर्थी सं० १५२४ वर्षे मार्गे व०५ सोमे कोलर वा० प्राग्वाट ज्ञातीय व्य० सादा भार्या सुहवदे सुत व्य० बीढाकेन भार्या वीरिणि पुत्र केल्हादि कुटुंबयुतेन स्वभेयसे श्रीसंभव बिंब कारित प्र० तपा श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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