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________________ श्री रेल दादाजी दादा साहब के मन्दिर में ( २०३३ ) श्री जिनदत्तसूरि मूर्ति जं यु० भट्टारक श्री जिनदत्तसूरि मूर्त्ति श्री बीकानेर वास्तव्य समरत श्रीसंघेन का० प्र० श्री जिन चारित्रसूरिभिः सं० १६८७ का ज्येष्ठ सुदि ५ रविवारे श्रीसंघ श्रेयोर्थम् ( २०३४ ) गुरु पादुकाओं पर सं० १६८७ का ज्येष्ठ सुदि ५ रविवारे श्रीसंघेन का० प्र० श्रीजिनवारित्रसूरिभिः श्रीसंघश्रेयोर्थम् श्रीजिनदत्तसूरिजी श्रीजिनचंद्रसूरिजी श्रीजिनकुशलसूरिजी श्रीजिनभद्रसूरिजि: । २०३५ ) युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरि के चरणों पर सं० १६७३ वर्ष वैशाख मासे अक्षयतृतीया सोमवारे श्रीखरतरगच्छे श्री जिनमाणिक्यसूरि पालंकार सवाई युगप्रधान श्रोजिनचंद्रसूरीणां पादुके श्रीविक्रमनगर वास्तव्य समस्त श्रीसंघन कारितं शुभं ॥ ( २०३६ शिलाह पर श्री रेल दादाजी का जीर्णोद्धार सं० १६८६ साल में पन्नालालजी हीरालाल मोतीलाल चम्पालाल बांठिया कारापितं मारफत सेठिया करमचंद चलवा नारायण सुथार गौतम स्वामी की देहरी में (२०३७) ) श्री गौतमस्वामी की मूर्त्तिपर सं० १९८१ आषाढ़ कृष्णौ द्वादश्यां तिथौ शुक्र दिने बिबमिदं लूणीया रतनलाल छगनलालाभ्य स्वश्रेयोऽर्थं कारितं प्रतिष्ठितं च खरतरगच्छीय भ० श्रीजिनचारित्रसूरिभिः बीकानेरनगरे "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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