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________________ बीकानेर जैम लेख संग्रह गुरु मन्दिर (फायदसरिजी के सामने) गंगाशहर रोड ( १९६८) श्री जिनकुशलसूरि मूर्ति श्री जंगम युगप्रधान भट्टारक श्रीजिनकुशलसूरीश्वराणां प्रतिमामिमा श्रीजिनचारित्रसूरीश्वराणां विजयराज्ये महोपाध्याय श्री राम भृद्धिसार गणि कारापितं वा सं० १६६७.......... ( १९६६ ) श्री जिनकुशलसूरि पादुका सं० १६६0 जे० सु० ५ श्रीजिनकुशलसूरि० (२०००) महो० रामलालजी की मूर्ति पर १ ॐ सद्गुरुभ्यो नमः धृहत्खरतरगच्छाधिपति शासन प्रभाषिक अंगम युगप्रधान महारक व्याख्यानवाचस्पति श्री श्री श्री १०८ श्री श्रीजिनचारित्रसूरीश्वराणां । २ शासने जैनानामुपरि प्रवर्तमाने धृहत्खरतरगच्छाधीश्वरक्षेमकीर्ति शाखायां मुमिषर्य पं० प्र. श्रीधर्मशीलगणयः तच्छिध्या: पं० प्र० श्रीकुशलनिधान गइणयः सच्छिध्यवर्याणां विद्वद्वर्याणांवैद्यदीपक रनस मुच्चय जैनदिग्विजय पताका सिद्धमूर्तिविक विलास ओसवंशमुक्तावली श्रावक ४ व्यवहारालंकार शकुनशास्त्र सामुद्रिकशास्त्रं पूजामहोदधि गुरुदेवस्वषनावलि सदुशानचितामणि असत्याक्षेपनिर्णय गु५ ण विलास बाईससमुदाय पंच प्रतिक्रमणसार्थ प्रभृति मन्थका युक्तिवारिधीनां पादिगक केसरीणां प्राणाचार्याणा महोपाध्याय श्री ६ भी श्री १०८ श्री श्रीरामऋद्धिसारगणिवराणां रामलालजी इति प्रसिद्ध नामधेयाना मूर्तिरित्र तच्छिष्यवयः पं० खेमचंद्र मुनिवर्यैः प्रशिष्य पं० बालचंद्र • प्रमुनिवर्यैश्च कारापिता प्रतिष्ठिता छ। विक्रमपुरे श्रीमन्महाराजाधिराज श्री गंगासिंह नपति विजयराज्ये । संवत् १६६७ वर्षे जेठ सुदि ५ सोमबार ८ शिष्पकार मानगराम हीराकाळ-जयपुर "Aho Shrut Gyanam" |
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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