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________________ बीकानेर जैन लेखसंग्रह (१५६८ ) संवत् १६०५ वर्ष शाके १ ७० प्रवत्तमाने माघ मासे शुक्ल ५ चंद्रवासरे श्रीमदुपकेश गच्छे कृट शाखायो श्रेष्ठ गोत्रे वैद्य मु० समस्त श्रीसंधन श्री धेयांसनाथस्य प्रतिष्ठा कारापितं श्रीकंवला गच्छे भ! श्री देवगुप्तसूरिमिः ॥ श्री। ( १५६६ ) शास्वत जिन पादुका श्री ऋषभानन जी ॥ चन्द्रानन जी ॥ वारिषेण जी ।। बर्द्धमान जी ।। सं० १९६५ मि० माह सुद १० रविवार ने चरणपादुका स्थापित ।। ४ सास्वता जिन ।। ( १५७० ) एकादश गणधर पादुके सं० १६६५ मि० माह सुद १० रविवार ने चरण पादुका स्थापित श्रीषीर गणधर ११ ( १५७: ) १६ सती पादुका सं० १६६५ मि० माह सुद १० रविवार ने चरण पादुका स्थापितं षोडश सती नामानि ! श्री हीरविजयमूरि पादुका ॥ सं० १९६५ मा० सु० ५ शनिवासरे जं० जु० प्र० भ० श्रीहीरविजयसूरीश्वरान् परणपादुका स्थापिता ईस मन्दर जावि वास्त जमी गज २६४ सोरोय सेजमालजी ने मेहता मानमत जी कोचर हस्ते दीवी है श्रीरस्तु ।। कल्याणमस्तु ।। ( १५७३ ) सं० १६६५ मा० सु०५ शनिवासरे श्री पंचम गणाधीश्वर सुधर्म स्वामीनां चरणपादुका स्थापिता ईस मन्दर जी वास्त ज० ग० ६५|-डा० दुलीचंद वा० ज० ग १३८11-01 डा० पूनमचंद चंदनमलाणी री बहु ने दीवी है श्रीरस्तु ॥ कल्याणमस्तु ।। धातु प्रतिमाओं के लेख (१५७४ ) श्री वासुपूज्यादि चतुर्विशति सं० १४२२ वर्षे माह वदि १२ भोमे। ओसवाल झातीय बहुरा शाखायो म्यव. शिवा भा० श्राविका राणी पु० खेता भा० ललतादेव्या व्यव० खेतां श्रेयसे आत्म पुण्यार्थ च श्रीवासुपूज्य वि कारितं प्रतिष्ठितं श्री संडरगच्छे भ० श्री ईसरमूरि पट्टे भट्टारक श्रीशालिभद्रसूरिभिः ।। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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